भक्ति की महानता है, नारद जी की वीणा ज्ञान प्रदान करती है, भागवत नाम से दुख दूर भागते है, पाने की इच्छा दुख देती है, त्याग से सुख प्राप्त होता है। ब्रम्हा जी श्रष्टि का निर्माण करते है, भोलेनाथ जी संतुलन बनाए रखते है। भागवत कथा सभी दशा में सुख प्रदान करती है, उक्त उदगार नैमिष पीठाधीश्वर नैमिषारण्य से पधारे कथा व्यास भागवताचार्य भास्कर शैलेंद्र शास्त्री ने व्यक्त किए।
महराजश्री ने भीष्म स्तुति, कर्दम चरित्र, कपिल व्याख्यान में बताया की वशीकरण एक मंत्र है, कठोर वचनों को तज देना चाहिए। सनकादिक जी महान पाए जाते है, जीवन में भोजन , भजन की महत्ता होती है। कथा के समय कम भोजन करना चाहिए, निद्रा नहीं आती।
श्रीमद् भागवत कथा कल्प वृक्ष के समान होती है, कथा में आत्मदेव, धुंधकारी की कथा का वर्णन किया, संसार का विषय पानी है, इसमें डूबने से बचना चाहिए, विषय के बिना जीवन नहीं चल सकता, मन संसार में जाए तो जाने दो लेकिन, मन में संसार ना आने पाए यह प्रयास करना चाहिए। फलदार वृक्ष लगाने चाहिए। गौ माता का पूजन करना चाहिए, तुलसीजी अति मतवपूर्ण होती है। सत्संग करना चाहिए, द्वापर में 1 लाख वर्ष की आयुर्दाय, त्रेता में 10 हजार और कलयुग में 100 वर्ष की आयुर्दाय निर्धारित है। जीव को भवसागर से पार उतारने का साधन भागवत कथा होती है।
गढ़ा रुद्राक्ष कैम्पस गंगा नगर में शिव मंदिर के सामने चल रही कथा में पहुंचने का आग्रह मुख्य यजमान अजय, सरोज, सोमू, रितिका पांडे, अटल उपाध्याय, नरेंद्र, मनीषा, कमल प्रीति उपाध्याय ने किया है।