मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में तकनीकी कर्मचारियों को एक दिन में तेरह तरह के काम सौंप दिए जाते हैं और इन कार्यों को पूरा कराने के लिए हर तरह से दबाव बनाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि एक तकनीकी कर्मचारी के जिम्मे 1912 की कंप्लेन अटेंड करना, पीसी मीटर लगाना, डीसी मीटर खोलना, नगर निगम मीटर की रीडिंग लेना, नेट मीटरों की रीडिंग लेना, पावर बिल एवं नेट के बिल बांटना, पंचनामा बनवाना, नए कनेक्शन का सर्वे करना, नए कनेक्शन लगाना, पीडी मीटर लगाना, विजिलेंस के साथ चेकिंग करने जाना, राजस्व वसूली करना, जला मीटर बदलना, मीटर रीडिंग लेना आदि कार्य सौंप दिए गए हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संघ पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन को जानकारी देना चाहता है कि तकनीकी कर्मचारियों से 13 प्रकार के कार्य लिए जाते हैं। जमीनी अधिकारियों के द्वारा तकनीकी कर्मचारियों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। जिसकी वजह से तकनीकी कर्मचारी अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं। इस वजह से परिवार भी परेशान रहता है। वहीं मानसिक दबाव बनाकर जोखिम का कार्य लेने से करंट लगकर घटना होने पर इसके जिम्मेदार कौन होगा? वहीं कर्मचारियों के परिवार का कहना है कि घटना होने पर अधिकारियों के ऊपर पुलिस की कार्यवाही करेंगे।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मिश्रा, आजाद सिंह, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, लखन सिंह राजपूत आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से कहा है कि तकनीकी कर्मचारियों के ऊपर जमीनी अधिकारियों के द्वारा बेजा दबाव डालकर कार्य लिया जा रहा है, जिसकी वजह से कभी भी दुर्घटना हो सकती है। संघ मांग करता है कि दबाव डाल कर कर्मचारियों से कार्य ना कराया जाए।