देश के नागरिकों को तो अंग्रेजों से 75 साल पहले ही स्वतंत्रता मिल गई थी, लेकिन मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग के कुप्रबंधन और असफल नीतियों ने बिजली कर्मियों को ठेकेदारों का गुलाम बना दिया, जहां ठेकेदार अधिकारियों के संरक्षण में आउटसोर्स बिजली कर्मियों का जमकर शोषण कर रहे हैं, ये कहना है मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का।
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बालाघाट सर्कल के अंतर्गत कटंगी में आयोजित जन जागरण सभा में प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव, प्रांतीय उपाध्यक्ष अजय कश्यप, प्रांतीय सचिव अरुण मालवीय, क्षेत्रीय सचिव आजाद सकवार, कार्यालय सचिव सुरेंद्र मेश्राम, सहायक अभियंता राजीव रंजन, महेंद्र पटले, अजय मेश्राम, संजीव बरकड़े, अजय बिसेन आदि उपस्थित थे ।
बिजली कंपनी के आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों के द्वारा आयोजित इस जनसभा में संघ पदाधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा कि जब तक विद्युत मंडल के अधिकारियों के द्वारा विद्युत मंडल चलाया जाता था, तकनीकी कर्मचारियों को सभी सुविधाएं मिलती थी। उनके द्वारा कर्मचारियों को मनुष्य समझते हुए मौलिक अधिकारों का ध्यान रखा जाता था। श्रम नियमों एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाता था।
लेकिन जब से मध्य प्रदेश शासन के द्वारा मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनियों में प्रशासनिक अधिकारी बैठाए गए हैं, तब से विद्युत तंत्र को चलाएमान रखने वाले तकनीकी कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हुए उनकी सारी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। श्रम नियमों का उल्लंघन एवं मानव अधिकारों की किस तरीके से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं यह सभी को विदित है।
प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा बिजली कंपनियों में ठेका प्रथा एवं संविदा प्रथा को लाकर बिजली कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन एवं श्रम नियमों एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। अधिकारियों द्वारा आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण ही पोल पर चढ़ा कर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराते हुए सैकड़ों कर्मचारियों को मौत के मुंह में धकेल दिया गया है। वहीं सैकड़ों कर्मचारियों को अपंग बना दिया गया है। इतना ही नहीं नियमविरुद्घ कार्य कराने पर घर के कमाऊ सदस्य की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति भी अभी तक नहीं दी गई है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने 2013 के चुनावी संकल्प पत्र में वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जायेगा, जो आज तक पूरा नहीं किया गया। इसके साथ ही दिन रात बिना अवकाश विद्युत तंत्र संभालने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए आज तक मानव संसाधन नीति नहीं बनाई गई। तकनीकी कर्मचारी संघ ने ऊर्जा विभाग एवं मध्यप्रदेश शासन से निवेदन किया है कि 6 जनवरी 2023 तक संघ की तीन मांगों को पूरा किया जाए, अन्यथा कर्मचारी मजबूर होकर जेल भरो आंदोलन करेंगे और इसकी सारी जवाबदारी बिजली कंपनी प्रबंधन और मध्यप्रदेश शासन की होगी।