मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों को लेकर संयुक्त संगठनों ने प्रदेश के 52 जिलों में एक साथ आज शनिवार से अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन का आगाज कर दिया है। बिजली कर्मियों ने इस दौरान अतिआवश्यक कार्यों को छोड़कर अन्य कोई कार्य नहीं किया। जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतों के निराकरण, फाल्ट का सुधार जैसे अनेक कार्य पेंडिंग हैं और उपभोक्ता अपनी समस्या के निराकरण के लिए बिजली कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के अंतर्गत मध्य प्रदेश के 52 जिलों में कार्यरत 45 हजार आउटसोर्स बिजली कर्मी, संविदा एवं नियमित कर्मचारी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन किया जा रहा है। इस दौरान अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर बिजली कर्मी कोई काम नहीं करेंगे।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली कर्मियों की वर्षों से लंबित मांगों को बार-बार झूठे आश्वासनों के जरिए टाला जा रहा है। झूठे वादों के चलते सरकार और ऊर्जा विभाग की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग चुका है। वर्षों से शोषण का शिकार हो रहे बिजली कर्मी अब किसी प्रकार के झांसे में नहीं आएंगे और अपना अधिकार लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को बिजली कंपनियों के अनेक संगठन अपना समर्थन दे रहे हैं और इसे जनता का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है।
संयुक्त संगठनों के शंभूनाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, अरुण ठाकुर, राहुल मालवीय, मनोज भार्गव, शिव राजपूत, शंकर यादव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, आजाद सकवार, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, विनोद दास आदि ने कहा है कि सरकार को हमारी मांगों पर तत्काल सकारात्मक कार्यवाही करनी चाहिए। इस आंदोलन में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ, अधिकारी-कर्मचारी कल्याण संघ एवं आउटसोर्स बिजली कर्मचारी संगठन आदि शामिल हैं।