Sunday, April 28, 2024
Homeएमपीभोपालरामराजा सरकार की नगरी ओरछा भी दुल्हन की तरह सजी

रामराजा सरकार की नगरी ओरछा भी दुल्हन की तरह सजी

निवाड़ी (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में नवनिर्मित मन्दिर में श्रीरामलला की होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आम जनमानस उत्साहित है। राजधानी भोपाल से लेकर ओरछा तक सड़कें पूरी तरह से श्रद्धालुओं से पटी हुई हैं। दूसरी ओर कई मंदिरों में रविवार की सुबह से श्रीरामचरित मानस का अखण्ड पाठ किया जा रहा है।

रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में मध्यप्रदेश सरकार भी पीछे नहीं है। इस अभूतपूर्व आयोजन के मौके पर सूबे के सभी धार्मिक स्थलों को खास तरह से सजाया गया है। इस मौके पर बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा भी सज संवरकर दुल्हन की तरह तैयार हो गई है। मंदिर और प्रांगण को रंग बिरंगे परदों से आकर्षक रूप से सजा दिया है।

ओरछा में आयोजन होने का सिलसिला रविवार से शुरू हो गया है, जो सोमवार देर रात तक जारी रहेगा। आयोजन वाले दिन लाखों लोगों के ओरछा आने की संभावना की जा रही है। इसलिए यहां पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव भी जाएंगे।

निवाड़ी जिले की पर्यटन नगरी ओरछा में 22 जनवरी को होने वाले भव्य आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ओरछा जाएंगे। इसके तहत मुख्यमंत्री मोहन यादव करीब 12 बजे ओरछा पहुंचेंगे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ओरछा में रहेंगे।

अयोध्या और ओरछा का संबंध

अयोध्या और ओरछा का संबंध करीब 600 साल पुराना है। कहते हैं कि भगवान राम अयोध्या से चलकर स्वयं रानी की गोद में आए थे। बुंदेलखंड में मान्यता है कि दिनभर ओरछा में रहने के बाद शयन के लिए भगवान राम अयोध्या चले जाते हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि देश में ओरछा ही एक ऐसी जगह है जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का सम्बन्ध है। इसलिए ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिंर्फ रामराजा को ही गार्ड आफ आनर दिया जाता है। ओरछा की सीमा के अन्दर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री समेत कोई भी अति विशिष्ट व्यक्ति गार्ड आफ आनर नहीं लेता है। इस तरह की पांच सौ वर्ष पुरानी एक नहीं ओरछा में अनेक परंपराएं आज भी जीवंत है।

इस संबंध में कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का लाइव कार्यक्रम श्रीरामराजा मन्दिर परिसर में श्री रामराजा दीर्घा के सामने बड़ी स्क्रीन लगाकर लोगों को दिखाया जाएगा। इसके बाद शाम को इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी की जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि 22 जनवरी को शाम 6 बजे से कंचना घाट पर एक लाख दीप प्रज्वलित किये जाएंगे।

ओरछा में बेतवा नदी

ओरछा के हेरिटेज टाउन से होकर बहने वाली बेतवा नदी ओरछा के दर्शनीय स्थलों में एक सुंदर पंख जोड़ती है। हेरिटेज टाउन ओरछा और इसके आसपास के स्थानों की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए नदी के पास बहुत कुछ है।

जानिए ओरछा का इतिहास

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, तात्कालीन ओरछा के राजा मधुकर शाह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे और उनकी पत्नी महारानी कुंवरि गणेश भगवान श्रीराम की उपासनक थीं। राजा मधुकर हमेशा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने को कहते थे, लेकिन रानी श्रीराम के नाम का सुमिरन सच्चे मन से किया करती थीं।

एक बार रानी ने मन बना लिया कि वे भगवान श्रीराम की स्थापना ओरछा में करेंगी। जिसके लिए रानी ने अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम की उपासना करने का मन बनाया। उपासना के लिए एक दिन रानी, राजा को बिना बताए अयोध्या के लिए निकल गईं।

अयोध्या प्रस्थान से पहले उन्होंने अपने नौकरों को आदेश दिया कि, वे चतुर्भुज मंदिर का निर्माण करवाएं। जहां वे भगवान श्रीराम की स्थापना की करेंगी। रानी ने अयोध्या पहुंचकर भगवान श्रीराम के कई दिनी तक उपवास रख भक्ति की। भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम प्रकट हुए। रानी ने भगवान से ओरछा आने का आग्रह किया।

भगवान श्री राम ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए 3 शर्ते रखीं। पहली शर्त भगवान श्रीराम ने कहा कि वे ओरछा बाल स्वरूप में आएंगे। दूसरी शर्त ओरछा पहुंचने के बाद वहां न तो कोई राजा होगा और न कोई रानी। तीसरा शर्त उनकी स्थापना पुरुष नक्षत्र में हीगी।

भगवान श्रीराम की तीनों शर्तों को मान लिया। 8 महिने 28 दिनों तक पैदल चलने हुए विक्रम संवत 1631 (सन् 1574) में चैत्र शुक्ल की नवमी को रानी भगवान को ओरछा लेकर आईं थी।

जब रानी भगवान श्रीराम को बालरूप में लेकर ओरछा पहुंचीं, तो राजा धूमधाम से स्वागत से स्वागत करने का मन बनाया। लेकिन रानी ने अस्वीकार कर दिया। रानी ने भगवान श्रीराम की स्थापना करने का शुभ मुहूर्त बनाया, लेकिन भगवान राम ने कहा कि वे अपनी मां को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।

भगवान श्रीराम महल से बाहर नहीं गए और उनकी स्थापना वहीं हो गई। जिसके बाद रानी का महल मंदिर के रूप में विश्व विख्यात हो गया। जो आज पूरे विश्व में राम राजा के नाम से विख्यात है।

टॉप न्यूज