एमपी सरकार नहीं ले रही बिजली आउटसोर्स कर्मियों की सुध, हो रहे दर-दर ठोकर खाने को मजबूर

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के प्रबंधन और ठेकेदारों द्वारा शोषित आउटसोर्स कर्मियों की सुध प्रदेश सरकार भी नहीं ले रही है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, प्रमुख ऊर्जा सचिव एवं विशेष कर्तव्य अधिकारी ऊर्जा को पत्र लिखकर निवेदन किया गया है कि 21 से 24 जनवरी तक अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलनरत रहे जिन आउटसोर्स कर्मियों को ब्लैकलिस्ट कर नौकरी से बाहर कर दिया गया था, उन्हें पुनः नौकरी पर रखा जाए।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया है कि प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी, जिनकी संख्या 45 हजार है उनका जीवन सुरक्षित रखने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा मानव संसाधन नीति बनाये जाने एवं सभी आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनियों में संविलियन कर, ठेका प्रथा समाप्त किए जाने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के 52 जिलों में 4 दिन का आंदोलन किया गया था। इस दौरान ऊर्जा मंत्री एवं इंदौर सांसद के द्वारा मध्यस्था कर आंदोलन को समाप्त कराया गया था। उसके बाद वितरण कंपनी एवं ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंधन के द्वारा 1028 आउटसोर्स कर्मियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था।

तकनीकी कर्मचारी संघ एवं आउटसोर्स संगठन के पदाधिकारियों के द्वारा अनेक बार मंत्री, विधायक से मिलने के बाद उनको आश्वासन दिया गया है कि नौकरी से निकाले गए आउटसोर्स कर्मियों को वापस नौकरी पर रख लिया जावेगा, किंतु आज दिनांक तक आउटसोर्स कर्मियों को वापस नौकरी पर नहीं रखा गया है, जिससे उनके परिवार में खाने के लाले पड़े हुए हैं और वे दर-दर भटक रहे हैं।संघ के राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, अमीन अंसारी, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, पीके मिश्रा आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि ब्लैक लिस्ट किए गए आउटसोर्स कर्मियों को वापस नौकरी पर रखने की कृपा करें।