मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा है कि तकनीकी कर्मचारी संघ के तत्वावधान में जबलपुर में बिजली कंपनियों के मुख्यालय शक्ति भवन बैरियर के समीप 11 मार्च 2013 से विद्युत मंडल और उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों में सेवाकाल के दौरान मृत हुए विद्युत कर्मियों की आश्रित विधवाओं एवं उनके बच्चों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दिया गया था। इसी दौरान जब 9 मई 2013 को मुख्यमंत्री जी जबलपुर आए हुए थे, तो उन्होंने आंदोलनरत अनुकंपा आश्रितों के पंडाल में पहुंचकर विधवा महिलाओं और मृत बिजली कर्मियों के परिजनों से मिलकर उन्हें आश्वासन भी दिया था कि अनुकंपा आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जावेगी।
मुख्यमंत्री जब अपना आश्वासन भूल गए तो उसे याद दिलाने और आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग को लेकर विधवा महिलाएं 25 मार्च 2015 को शक्ति भवन जबलपुर से पैदल चलकर 340 किलोमीटर दूर भोपाल पहुंच गई। जिसमें उनको 22 दिन लगे थे। वहीं विधवा महिलाओं एवं आश्रित बच्चों के द्वारा 1760 दिनों तक धरना दिया गया था, किंतु प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा अनुकंपा आश्रितों के लिए 5 साल बाद 2018 को नई अनुकंपा नीति जारी करते हुए कहा गया कि 15 नवंबर 2000 से 10 अप्रैल 2012 के बीच हार्ट अटैक आदि गंभीर बीमारी से मृत्यु होने पर मृत बिजली कर्मी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जावेगी।
इस आदेश को निकाल कर ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा मौतों का बंटवारा कर दिया। उसके बाद अनुकंपा नियुक्ति पर ऊर्जा विभाग द्वारा अनेक आदेश निकालकर अनेक प्रकार की शर्तें लगा दी गई। जैसे अनुकंपा आश्रित आईटीआई पास होना चाहिए, पीजीडीसीए किया होना चाहिए, सीपीसीटी होना चाहिए, उसके बाद ही अनुकंपा नियुक्ति दी जावेगी।
संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्य, एसके शाक्य, जेके कोष्टा, असलम खान, राम केवल यादव, बीपी सिंह, दिनेश, रतिपाल यादव, राजेश, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, संदीप दीपंकर, विनोद दास, अमीन अंसारी, पीके मिश्रा आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वर्ष 2012 के पूर्व एवं बाद के अनुकंपा आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जावे।