मध्य प्रदेश की बिजली कंपनी ने दुर्गम माने जाने वाले क्षेत्र में जंगल-नदी-पहाड़ को लांघ कर नई विद्युत लाइन खींच दी। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने निवाडी जिले के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल एवं धार्मिक नगरी ओरछा के लिये करीब 30 किमी लंबाई की 132 के.व्ही. पृथ्वीपुर-ओरछा लाइन एवं 132 के.व्ही. सबस्टेशन ओरछा तैयार किया है। मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि करीब 34.7 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित कर इस लाइन और सबस्टेशन को ऊर्जीकृत किया गया।
ऊर्जा मंत्री ने एमपी ट्रांसको के कार्मिकों को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल एवं धार्मिक नगरी ओरछा के लिये विद्युत पारेषण की इस महत्वपूर्ण व्यवस्था को तैयार करने के लिये बधाई दी। इस महत्वपूर्ण लाइन एवं सबस्टेशन को 50 एम.व्ही.ए. क्षमता के पावर ट्रांसफार्मर के साथ मुख्यालय जबलपुर स्थित स्काडा कंट्रोल सेंटर से अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सितम्बर माह में सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य अभियंता भीकम सिंह ने कम्प्यूटर का माउस क्लिक कर रिमोट से ऊर्जीकृत किया।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि नवनिर्मित 132 के.व्ही. पृथ्वीपुर-ओरछा लाइन एवं सबस्टेशन के निर्माण से ओरछा व उसके आसपास के क्षेत्रों को अब मात्र 4 किमी से ही 33 के.व्ही. की सप्लाई मिला करेगी। जिससे ओरछा व प्रतापपुरा क्षेत्र के करीब 11 हजार विद्युत उपभोक्ताओं के साथ ओरछा के विभिन्न पर्यटक एवं धार्मिक स्थलों को उचित गुणवत्ता की कम व्यवधान के साथ विद्युत व्यवस्था उपलब्ध हो सकेगी। इस लाइन का निर्माण मेसर्स एलएनटी एवं उपकेन्द्र का निर्माण मेसर्स श्रीम के माध्यम से किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पहले 33 के.व्ही. के फीडर की लंबाई 30 किलोमीटर होने तथा इसके पृथ्वीपुर व ओरछा के मध्य सघन व रिजर्व फॉरेस्ट के साथ, नदियों व पहाड़ों के बीच से गुजरने के कारण सुधार कार्य में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। अब इस नये सबस्टेशन के बनने से जहां बरसात आदि प्राकृतिक कारणों से होने वाले व्यवधानों में कमी आयेगी वहीं सुधार कार्य जल्द पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के कार्यपालन अभियंता सर्वेश गौतम ने बताया कि 132 के.व्ही. ओरछा सबस्टेशन के लिए 132 के.व्ही. सबस्टेशन पृथ्वीपुर से 132 के.व्ही. लाइन बनाना चुनौतीपूर्ण था। घने जंगलों, दो प्रमुख नदियों बेतवा और जामनी के साथ रिजर्व फॉरेस्ट के बीच टावर का निर्माण कर लाइन खींचना बेहद कठिन कार्य था। एमपी ट्रांसको ने इसके लिए वन विभाग एवं राजस्व विभाग से समन्वय बनाकर यह कार्य पूर्ण करवाया।