मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन की राह में हैं, लेकिन एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने ठेकेदारों को एक पत्र जारी कर अपने हक के लिए विरोध प्रदर्शन करने वाले आउटसोर्स कर्मियों को सीधे नौकरी से हटाए जाने के निर्देश दे दिए, जिसके बाद हंगामा मैच गया।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस विषय पर संघ के पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपस्थित पदाधिकारियों के द्वारा ट्रांसमिशन कंपनी के इस आदेश पर आक्रोश जताते हुए विरोध किया और कहा कि पावर ट्रांसमिशन कंपनी के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट तक जायेंगे।
संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पत्र क्रमांक 1581 दिनांक 1 सितंबर 2023 को निकाला गया है, उसे पत्र में भारत के कानून संविधान की अवहेलना की गई है। भारत के संविधान में लिखा है कि हर श्रमिक को अपने अधिकार पाने के लिए विरोध धरना प्रदर्शन हड़ताल कर सकता है। लेकिन मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा ऐसा तानाशाहीपूर्ण आदेश जारी कर अघोषित रूप से बंधुआ मजदूरी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आउटसोर्स के कर्मचारी अपने अधिकार पाने के लिए हड़ताल विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते, ऐसा लग रहा है कि अंग्रेजों का शासन है। पिछले 15 वर्षों में जिस तरह से विद्युत तंत्र को चलाने वाले लगभग 50 हजार नियमित लाइनमैन सेवानिवृत हो गए हैं, उनकी जगह नियमित कर्मचारियों की भर्ती करना था, लेकिन पैसे बचाने के चक्कर में प्रबंधन के द्वारा ठेकेदार के मध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती कर ली गई, जिनको करंट का कार्य करने का अधिकार ही नहीं होता है। लेकिन अधिकारियों के दबाव में करंट का कार्य करने की वजह से सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों की जान चली गई। इसका भी सारा दोष आउटसोर्स कर्मचारी के ऊपर ही मढ दिया जाता है कि पूरी गलती उसी की थी।
प्रबंधन एवं मैदानी अधिकारी आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील कभी नहीं रहे। अगर प्रशासनिक अधिकारी आउटसोर्स के लिए संवेदनशील होते तो उनके लिए इन 15 वर्षों में उनके एवं उनके परिवार को सुरक्षित रखने के लिए मानव संसाधन नीति जरूर बनाते एवं विद्युत तंत्र को चलायमान रखने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों का संविलियन करने के लिए कोई भी रास्ता बनाते, मगर आज भी प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा ऐसा न करते हुए भारत के संविधान के खिलाफ पत्र जारी किया गया है।
संघ के राम समझ यादव, शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, केएन लोखंडे, रमेश रजक, रतिपाल यादव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, राम केवल यादव, एसके मौर्य, असलम खान, विनोद दास, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, अंकुर मिश्रा, अमीन अंसारी, राहुल मालवीय, शिव राजपूत, नितिन गावंडे, शंकर यादव आदि ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से निवेदन किया है कि आउटसोर्स कर्मचारियों के खिलाफ ऊर्जा विभाग और पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने जो पत्र जारी किया है उसे तत्काल निरस्त करने के निर्देश दें। साथ ही मांग की है कि आउटसोर्स के कर्मचारी की महापंचायत बुलाकर उनके एवं परिवार के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए नीति बनाएं एवं अवकाश के दिनों में उनको भी अवकाश दें। मानव अधिकारों का हनन न होने दे एवं श्रम नियमों का पालन किया जाए।