एक ओर बिजली कंपनी उपभोक्ताओं से कहती है कि अपने लाइनमैन का समर्थन करें, क्योंकि यही वो लोग हैं जो आपके घरों को 24 घंटे रोशन रखने के प्रयास में लगे रहते हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी प्रबंधन से लेकर जमीनी अधिकारी तक नियमों और संवेदनशीलता को ताक पर रखकर इन्हीं लाइनमैनों का शोषण कर रहे है। इससे साफ जाहिर होता है कि बिजली कंपनी की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जब बिजली उपभोक्ता एवं अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी अपने परिवार के साथ दुर्गा उत्सव की झांकी एवं दशहरा देखने के लिए निकलते हैं और हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाते हैं, उस समय विद्युत तकनीकी कर्मी उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि को ध्यान में रखते हुए पूरे लगभग 10 दिनों तक अपने परिवार को समय न देकर विद्युत तंत्र को संभालने में जी-जान से लगे रहते हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनी के आउटसोर्स कर्मी, संविदा कर्मी और नियमित कर्मचारी दिन-रात विद्युत तंत्र को संभालता है, ताकि उपभोक्ताओं की बिजली बंद न हो और वे हर्षोल्लास से त्योहार मना सकें। तकनीकी कर्मी इस बात का विशेष ध्यान रखकर कार्य करता है कि सभी उपभोक्ताओं के घर रोशन रहें, किसी के घर अंधेरा न हो।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि लेकिन इस दौरान जमीनी अधिकारियों का तानाशाही रवैया भी सामने आ जाता है, जो मानवीयता को दरकिनार और श्रम नियमों का उल्लंघन करते हुए तकनीकी कर्मचारियों की 16 घंटे की ड्यूटी लगा देते हैं, जबकि नियमानुसार आठ-आठ घटे की दो शिफ्ट में ड्यूटी लगाना चाहिए।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव, विनोद दास, अमीन अंसारी, राकेश नामदेव आदि ने तीनों विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंधकों से मांग की है कि जमीनी अधिकारियों के द्वारा श्रम नियमों का बार-बार उल्लंघन किया जा रहा है, उन पर कड़ी कार्यवाही की जावे। इसके साथ ही विशेष अवसरों पर आउटसोर्स कर्मी, संविदा कर्मी और नियमित कर्मचारियों से लगातार 16 घंटे लगातार कार्य न कराते हुए आठ-आठ घंटे की ड्यूटी लगाई जाए।