इन पुराणों में पता भी ढूंढ़ ही लेंगे
पर्वतों में हम सदा भी ढूंढ़ ही लेंगे
दिल में लोगों ने दबा रख्खी है चिंगारी
उसकी खातिर वो हवा भी ढूंढ़ ही लेंगे
शहर भर की नब्ज़ पर जो हाथ रखते हैं
रोग की अपने दवा भी ढूंढ़ ही लेंगे
ढूंढ़ने निकले हैं जब हम आस्था लेकर
पत्थरों में देवता भी ढूंढ़ ही लेंगे
तम घना है किन्तु फिर भी तेरे अंतस में
खुद को थोड़ी सी वफ़ा भी ढूंढ़ ही लेंगे
चित्रगुप्त आकर रखेंगे जब बही-खाता
अपनी-अपनी सब ख़ता भी ढूंढ़ ही लेंगे
– ब्रह्मदेव बन्धु