जब से तुझसे दिल लगाना सीखा है
यारों से तो यारी निभाना सीखा है
तेरे सज़दे की सदा मैं हूँ तलबग़ार,
हमने तो तुझको रिझाना सीखा है
तुझसे बिछड़ कर जी न पाऊँगी
लगे तेरा साथ सुहाना सीखा है
जी करता है गुनाह करने को अब वो,
जिससे अब तक ख़ुद को बचाना सीखा है
रजनी की पहरेदारी करता है सारा जहाँ,
हमने तो सब कुछ तुझ पर लुटाना सीखा है
-रजनी गुप्ता पूनम
(साहित्य किरण मंच के सौजन्य से)