वक्त किसी के लिए थमता नहीं
बस चलता है चलते जाता है।
जो बीज बोयेंगे कर्मों के
वैसा ही फल तो हम काटेंगे
बस आज भर ही नही जीना
कल की भी तो कुछ सोचेंगे
इसी सोच में डूबे डूबे मुझको
भविष्य नजर नही आता है।
वक्त किसी के लिए थमता नहीं
बस चलता है चलते जाता है ।
कुछ वृक्ष लगाएं ऐसे कर्मों के
छांव में परिंदे भी सपने संजो पाएं
चलो इतना समेट ले जीवन मे
कि अंतिम पल चैन से सो पाएं
कहीं छूट न जाये ये पल हमसे
वक्त कहाँ खुद को दुहराता है
वक्त किसी के लिए थमता नहीं
बस चलता है, चलते जाता है।
इन कंधों को और मजबूत करो
सुख दुख इन्ही पर तो ढोना है
यह सफर आसान नही पगले
कभी हंसना है तो कभी रोना है
मैं बेकल हो समझती तुझको
तू हँस हँस के मुझे बहलाता है
वक्त किसी के लिए थमता नहीं
बस चलता है चलते जाता है।
-रुचि शाही