सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार यूं तो वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा। योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। योगिनी एकादशी के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल प्रदान करने वाला है।
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 जुलाई दिन रविवार को शाम को 7:55 बजे से शुरू होगी और यह एकादशी तिथि 5 जुलाई को रात 10:30 बजे समाप्त होगी। चूंकि उदया तिथि के साथ ही एकादशी तिथि 5 जुलाई को पूरे दिन रहेगी, इसलिए योगिनी एकादशी व्रत 5 जुलाई को ही रखा जायेगा।
5 जुलाई को रखी जाने वाली योगिनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 6 जुलाई मंगलवार को करना है. इस दिन व्रतधारी को प्रात: 5:29 बजे से सुबह 8:16 बजे तक पारण कर लेना चाहिए। एकदशी व्रत के नियमों के अनुसार व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व तक कर लेना चाहिए।