सारे फिक्रमंद लोग
अपना अपना
सुई धागा लिए
फटा, आसमान सिलने की
सदभावना के पाखंड से संचालित हैं
सबको अब आसमान
फटा फटा सा दिखने लगा है
सब पैबंद लगाने उत्सुक लोग
एकदूसरे के कंधों पर
पैर रख कर
उन ऊँचाइयों पर
पहुँच जाना चाहते हैं
जहाँ से वे
सत्ता और धन के वैभव का
सुख भोग सके और इस सुख को
अक्षुण्य रख सकें
इस हेतु आसमान सिलने का
असमाप्त होने वाला
सिलसिला जारी रहेगा
आसमान का फटा रहना
अपरिहार्य है अनिवार्य है
अन्यथा फिर क्या सिला जायेगा
-डॉ राजेश दुबे
सागर (मप्र)
94254 51661