भारतीय वैज्ञानिकों ने किया अंतरतारकीय धूमकेतु 2आई/बोरिसोव के असामान्य ध्रुवीकरण की अनुकृति करने के लिए मॉडल ब्रह्मांडीय धूल कणों का विकास

पूर्व में देखे गए अंतरतारकीय धूमकेतु (इंटरस्टेलर कॉमेट) 2आई /बोरिसोव जो किसी भी तारे के गुरुत्वाकर्षण से बंधा नहीं है, के असामान्य ध्रुवीकरण गुणों को दोहराने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए अत्याधुनिक एवं यथार्थ में दृष्य ब्रह्मांडीय धूल का मॉडल प्रायोगिक होने के साथ ही धूल से प्रकीर्णित (स्कैटर्ड) प्रकाश के अवलोकन डेटा को पुन: उत्पन्न कर सकता है।अंतरिक्ष के विभिन्न क्षेत्रों में विद्यमान धूल के भौतिक गुणों को निर्धारित करने के लिए ये कण उपयोगी होंगे।

सामान्यतः सौर मंडल के धूमकेतुओं को सुप्तावस्था (कोमा) में देखे गए विभिन्न धूल-से-गैस अनुपात के आधार पर निम्न और उच्च ध्रुवीकरण वाले धूमकेतु के दो ध्रुवीयमितीय (पोलरिमेट्रिक) वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। इन दो वर्गों के अलावा, धूमकेतुओं का एक तीसरा वर्ग भी मिलता है, जिसका ध्रुवीकरण उच्च ध्रुवीकरण धूमकेतुओं की तुलना में अधिक है और जिसे केवल एक सौर मंडल धूमकेतु, सी/1995 ओ1 (हेल-बोप) के मामले में देखा गया था। ऐसा माना जाता है कि इस तरह की खड़ी ध्रुवीयमितीय (पोलरिमेट्रिक) ढलान छोटी किन्तु  प्राचीन ब्रह्मांडीय धूल की उपस्थिति के कारण होती है। 2आई/बोरिसोव के पोलारिमेट्रिक अध्ययन में मानव जाति द्वारा देखे और अध्ययन किए जाने वाले इस पहले अंतरतारकीय धूमकेतु (इंटरस्टेलर कॉमेट)  ने असामान्य रूप से एक तीव्र  ढलान का प्रदर्शन किया जो अब तक केवल एक सौर मंडल धूमकेतु, सी/1995 ओ1 (हेल-बोप) के मामले में देखा गया था।

       
चित्र-1: यथार्थ में दृश्य (विजुअली रियलिस्टिक) असमान खंडित ज्यामितीय समुच्चय  (रफ फ्रैक्टल एग्रीगेट–आरएफए) उत्पन्न करने के लिए एल्गोरिद्म

चित्र-2 : आरएफए मॉडल संरचनाओं (1-6) (ठोस रेखाओं-सॉलिड लाइन्स) के लिए प्रकीर्णन कोण के साथ रैखिक ध्रुवीकरण-एस 12/एस 11 (ए-ई) और अवस्था क्रिया (फेज़ फ़ंक्शन) एस 11 (एफ-जे)  के दौरान कुल नमूनों के लिए प्रायोगिक परिणामों की तुलना में (1-6) (खोखले वर्ग और त्रिकोण) ग्रेनाडा एम्स्टर्डम लाइट स्कैटरिंग डेटाबेस से डिग्री का परिवर्तन

धूमकेतुओं के ध्रुवीयमितीय अवलोकनों को समझाने के लिए, यथार्थवादी कंप्यूटर-मॉडल वाली धूल संरचनाओं को विकसित करना और ऐसी मॉडलिंग संरचनाओं द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन का  कम्प्यूटेशनल रूप से अनुकरण करना महत्वपूर्ण है।

हाल ही में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स-आईआईए), बैंगलोर के वैज्ञानिकों ने पहली बार संख्यात्मक एल्गोरिदम/सॉफ्टवेयर जिसे आरईएसटी (रफ एलिपोसिड स्ट्रक्चर टूल्स) कहा जाता है ,के एक सेट का उपयोग करके एक यथार्थ में दृश्य (विजुअली रियलिस्टिक) ब्रह्मांडीय धूल का मॉडल विकसित किया। आईआईए, बैंगलोर के एक पोस्टडॉक्टरल फेलो, डॉ. प्रीतीश हलदर के साथ काम कर रहे आईआईए बैंगलोर के ही एक वैज्ञानिक, प्रो. सुजन ने एग्लोमेरेटेड डेब्रिस (सॉलिड्स) और रफ फ्रैक्टल एग्रीगेट्स (आरएफए) नामक एवं  यथार्थ में दृष्य ब्रह्मांडीय धूल ब्रह्मांडीय धूल कणों को बनाने के लिए परिस्थिति या तारे के बीच के वातावरण में जमावट और बैलिस्टिक समूह के कारण गोलाकार कणों की सतह  पर खुरदरापन/अनियमितताओं को विकसित  किया है।

चित्र-3: तरंग दैर्ध्य 𝜆 = 0.557𝜇m (वीएफ फ़िल्टर), 0.655𝜇m (आरएफ फ़िल्टर) और 0.768𝜇m (आईएफ फ़िल्टर) पर अंतरतारकीय (इंटरस्टेलर) धूमकेतु 2आई/बोरिसोव के लिए मॉडलआर का उपयोग करके प्रेक्षणों (लाल भरे घेरे) के साथ सर्वश्रेष्ठ फ़िट मॉडल परिणाम और इसकी तरंग दैर्घ्य 𝜆 = 0.4845𝜇m, 0.620𝜇m और 0.730𝜇m पर : कार्बन: सिलिकेट = 50:50 (एन =2.6) (ए–सी) पर धूमकेतु सी /1995 ओ1 (हेल-बोप) (नीले भरे घेरे) के ध्रुवीकरण अवलोकनों के साथ

ग्रेनेडा एम्स्टर्डम लाइट स्कैटरिंग डेटाबेस (धूल के नमूनों पर प्रकाश विकीर्णन के प्रयोगशाला सिमुलेशन से प्राप्त प्रकाश विकीर्ण होने  वाले मापदंडों का एक डेटाबेस) से तारे के परिवृत्त में (सरकमस्टेलर)/ब्रह्मांडीय धूल एनालॉग्स के प्रकाश विकीर्णन  की प्रतिक्रिया की अनुकृति करके आरएफए संरचनाओं को प्रमाणित किया गया था। एक बार आरएफए संरचनाओं पर हुए  संख्यात्मक प्रकाश प्रकीर्णन सिमुलेशन से प्रायोगिक परिणामों की सफलतापूर्वक पुन: उत्पत्ति  हो जाने के बाद एक धूल मॉडल तैयार किया गया था, जिसमें कुछ सौ नैनोमीटर से लेकर कुछ माइक्रोमीटर तक आकार की एक विस्तृत श्रृंखला पर आरएफए संरचना और ठोस कणों के मिश्रण पर विचार किया गया था, जिसमें क्रमशः अनाकार (अमोर्फौस) फोरस्टराइट सिलिकेट ओर अनाकार कार्बन  की सामग्री संरचना थी। 80% आएफए  कणों और 20% ठोस पदार्थों के लिए सर्वोत्तम-उपयुक्त (फिट) ध्रुवीकरण और सर्वोत्तम-फिट पोलरिमेट्रिक वर्णक्रमिक अंशांकित  (स्पेक्ट्रल ग्रेडिएंट) परिणाम प्राप्त किए गए, जो अत्यधिक झरझरे (पोरस) प्राचीन ब्रह्मांडीय धूल कणों की एक बड़ी संख्या की उपस्थिति का संकेत देते हैं। मॉडल के परिणाम यह भी संकेत देते हैं कि देखा गया धूल-से-गैस अनुपात  इस प्रकार मॉडल की गई धूल संरचनाओं के झरझरे –  ठोस (कॉम्पैक्ट) अनुपात के सीधे सापेक्ष  आनुपातिक है। इस शोध को द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है, और जिसे अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी (एएएस) द्वारा प्रकाशित किया गया है।

स्वीकृत पांडुलिपि का ArXiv लिंक https://doi.org/10.48550/arXiv.2302.13370