वो मेरे साथ- अलका जैन

वो मेरे साथ जब से चल रहा है
सफ़र महका हुआ पल-पल रहा है

हर इक शै पूछती है तुम कहाँ हो,
मैं तन्हा हूँ ये सबको खल रहा है

मिली दुश्वारियां जब ज़िंदगी में,
मसाइल कोई हो तू हल रहा है

गुलों पर रख दिए हैं मैंने भँवरे
चमन का हुस्न वरना ढल रहा है

सुकूँ में हैं ये मुर्दा ज़ेहन वाले,
जो ज़िंदा है बशर बेकल रहा है

किसे बीनाई अक्सर ढूँढती है,
नज़र से कोई तो ओझल रहा है

मेरी आँखें ने सहरा को संभाला,
मेरे आगोश में जंगल रहा है

किसी के ज़ख़्म पर मरहम सी हैं पर,
कोई बातों से मेरी जल रहा है

-अलका जैन