Friday, May 3, 2024
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न्याय वितरण पर दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है भारत: राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 

नई दिल्ली (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि आज भारत वैश्विक विमर्श में एक प्रमुख हितधारक के रूप में उभरा है। ऐसे में न्याय वितरण में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है। भारत न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि सबसे पुराना लोकतंत्र भी है। उस समृद्ध और लंबी लोकतांत्रिक विरासत के साथ, हम आधुनिक समय में न्याय वितरण में अपनी सीख दुनिया से साझा कर सकते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन (सीएलईए) – कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएएसजीसी) 2024 के समापन समारोह में भाग लिया और इसे संबोधित किया। कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की बात करती है। न्याय वितरण के विषय में हमें सामाजिक न्याय सहित सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना कर रही दुनिया में अब हमें पर्यावरणीय न्याय को भी इसमें जोड़ना चाहिए। पर्यावरणीय न्याय के मुद्दे अक्सर सीमाओं में बंधे हुए नहीं हैं। यह सम्मेलन के मुख्य विषय ‘न्याय वितरण में सीमा पार चुनौतियां’ से भी जुड़ा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सही और उचित ही तार्किक रूप से भी सही प्रतीत होता है। यह तीन गुण मिलकर किसी समाज की नैतिक व्यवस्था को परिभाषित करते हैं। कानूनी पेशे और न्यायपालिका के प्रतिनिधि ही व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं। इस व्यवस्था को चुनौती मिलने पर वकील या न्यायाधीश, कानून के छात्र या शिक्षक के रूप में यही लोग इसे फिर से सही करने के लिए सबसे अधिक प्रयास करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सीएलईए ने एक साझा भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार करने की जिम्मेदारी ली है। यह समानता और गरिमा पर आधारित प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों को रेखांकित करता है। उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रमंडल अपनी विविधता और विरासत के साथ, बाकी दुनिया को सहयोग की भावना से आम चिंताओं को दूर करने का रास्ता दिखा सकता है।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों और विश्वविद्यालयों के डीन, कुलपतियों और विद्वान के साथ-साथ वरिष्ठ छात्रों की भागीदारी से समृद्ध हुई होगी। उन्होंने कहा कि युवा दिमाग लचीले होते हैं और उन समस्याओं के लिए नवीन और आउट-ऑफ-द-बॉक्स समाधान पेश कर सकते हैं, जिन्होंने सबसे अनुभवी पेशेवरों को चुनौती दी है।

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