क्यों जागती हो रात भर,
मेरे प्रेम की दिवानी
क्यों गूंजती है स्वप्न में,
मेरे इश्क की कहानी
मैं सोचता हूँ साथ में,
उस रात तक जिऊंगा
प्यार के सब प्याले,
दिल खोलकर पिऊंगा
क्यों पूछती हो मुझसे,
मेरे प्रेम की कहानी
क्यों जागती हो रात भर,
मेरे प्रेम की दिवानी
मैं देखता हूँ कब तक,
तुम ख्वाबों में जिओगी
करवटें बदल कर रातों,
होंठों को सिओगी
क्यों कहती नहीं हो मुझसे,
अपना प्रेम जुबानी
क्यों जागती हो रात भर,
मेरे प्रेम की दिवानी
मैं ख्वाब बनकर जानम,
तेरे दिल में ही बसूंगा
जिन्दगी के लम्हें,
सब साथ में जिऊंगा
क्यों मांगती हो मुझसे,
मेरे प्यार की निशानी
क्यों जागती हो रात भर,
मेरे प्रेम की दिवानी
-राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश