मध्यप्रदेश में विगत दस वर्षों में विद्युत कंपनियों की अधोसंरचना में वृद्धि के साथ-साथ उपभोक्ताओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिसे दृष्टिगत रखते हुए समस्त वितरण कंपनियों के अंतर्गत तकरीबन 4500 हजार नवीन उपकेंद्र स्थापित किये गये हैं, जिसके संचालन एवं संधारण के लिये परीक्षण सहायक एवं लाइनमैन की पूर्ण जवाबदारी तय होती है।
ऊर्जा विभाग द्वारा दिनांक 29 एवं 30 अक्टूबर को प्रसारित किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार ऊर्जा विभाग की आगामी भर्ती हेतु समस्त पदों का उल्लेख किया गया है किंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्युत व्यवस्था के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी हेतु जो परीक्षण सहायक एवं लाइनमैन के पद पूर्व निर्धारित हैं या आगामी ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर में निर्धारित किए जाने योग्य हैं, उन पदों का उल्लेख नोटिफिकेशन में ना होने या भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं किए जाने पर मध्यप्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार द्विवेदी ने सरकार को ईमेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सरकार से बिजली कंपनियों के बेहतर भविष्य को लेकर गंभीर सवाल किया है।
प्रदीप कुमार द्विवेदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नियमित प्रकार के कार्यों में हर स्तर पर आउटसोर्सिंग व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके तहत पूर्णरुपेण उपकेंद्रो विद्युत लाइनों का संचालन कार्य केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के विरुद्ध अनाधिकृत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सौंपा जा रहा है जिसमे कृषि फीडर पर निर्धारित मापदंड से अधिक विद्युत प्रदाय, पावर ट्रांसफार्मर के जलने, अकारण विद्युत दुर्घटनाओं जैसी अन्य समस्याओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जो यह दर्शाता है कि नियमित प्रकृति के महत्वपूर्ण कार्यों में नियमित कर्मचारियों का होना अत्यंत आवश्यक है। चूंकि संविदा नीति 2018 एवं 2023 में मंविदा कर्मियों को नियमित भर्ती में 50% का आरक्षण प्राप्त है किंतु जब उक्त पदों (जो कि संविदा में कार्यरत हैं) पर उनकी आवश्यकतानुरुप नियमित भर्ती ही नहीं निकाली जाएगी तो उक्त आरक्षण के माध्यम से वह कैसे नियमित हो पाएंगे?
संघ के प्रांतीय पदाधिकारी शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप द्विवेदी, असलम खान, मिलन चौकसे, धर्मेंद्र मालवीय, यशवंत यादव, तुलसीदास गावंडे, भूषण महाजन, पप्पू बघेल, समरथ बागड़े, अमित पंवार, दारा सिंह चंदेल, जाहिद हुसैन अंसारी समेत तमाम जमीनी पदाधिकारियों ने आगामी भर्ती प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश शासन ऊर्जा विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार यदि परीक्षण सहायक एवं लाइन अटेंडेंट के पदों हेतु यथोचित नियमित भर्ती नहीं निकाली जाती है तो ऐगी स्थिति में मध्य क्षेत्र सहित ऊर्जा विभाग की समस्त उत्तरवर्ती कंपनियों में संविदा पर कार्यरत परीक्षण सहायक एवं लाइन अटेंडेंट कर्मचारियों को सीधे नियमित किये जाने हेतु विचार किया जाये क्योंकि, कार्यरत सभी परीक्षण सहायक वर्ष 2013 में जारी नियमित भर्ती हेतु निकाले गए विज्ञापन के माध्यम से खाली पदों के विरूद्ध संविदा पर नियुक्त किए गए हैं एवं समस्त लाइन अटेंडेंट कर्मचारी भी संविदा के पद पर भर्ती परीक्षा के माध्यम से ही नियुक्त हैं, उपकेंद्रों का संचालन एवं सुधार एक नियमित प्रकृति का कार्य है जिस हेतु पूर्व से निर्धारित परीक्षण सहायक एवं लाइनमैन का पद अति आवश्यक एवं अनिवार्य पदों की श्रेणी में आते हैं किन्तु बड़े आश्चर्य का विषय है कि बिजली व्यवस्था की रीढ़ कहलाने वाले उक्त दोनों ही अत्यावश्यक तकनीकी पद, प्रस्तावित ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर में पूर्णतः समाप्त कर दिए गए हैं या समाप्त होने की स्थिति में हैं, इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था के प्रति किसी भी विभागीय कंपनी का रवैया जिम्मेदारीपूर्ण नहीं हैं।
साथ ही आगामी भर्ती प्रक्रिया के संबंध में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संयुक्त रूप से यह मांग की है कि उक्त पदों हेतु तत्काल ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर में यथावश्यक सुधार स्वरूप बढ़ते लाइन इंफ्रास्ट्रक्चर, उपभोक्ताओं की संख्या के आधार पर आवश्यकतानुसार उक्त पदों के उचित नवीन पद सृजित कर विभाग में कार्यरत पूर्व में ही भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण समस्त वर्गों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की विभागीय तौर पर नियमित नियुक्ति करने के पश्चात ही रिक्त पदों पर विज्ञापन के माध्यम में भर्ती की जाये जिससे, दशकों में अधिक समय में विभाग में समर्पण भाव से कार्यरत एवं अनुभवी संविदा कर्मियों का भविष्य सुरक्षित हो सके एवं उनके अनुभव का लाभ निरंतर बिजली कंपनियों को प्राप्त हो सके।