केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कोविड-19 से लड़ने के लिए घोषित किए गए प्रोत्साहन या राहत पैकेज पर आज यहां आयोजित पांचवीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने आरंभिक संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 12 मई को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में व्यक्त किए गए विजन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री को उद्धृत करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हम अत्यंत अहम मोड़ पर हैं। कोविड-19 महामारी एक संदेश और एक अवसर लेकर आई है। हमें अब आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर विशेष जोर दिया गया है। संकट और चुनौती एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने का अवसर है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सुधारों की श्रृंखला के तहत ही आज भी अहम घोषणाएं की गई हैं। लॉकडाउन के तुरंत बाद हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) की घोषणा कर दी। 1.70 लाख करोड़ रुपये के पीएमजीकेपी के एक हिस्से के रूप में सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न के वितरण, महिलाओं एवं गरीब वरिष्ठ नागरिकों और किसानों को नकद भुगतान, इत्यादि की घोषणा की। पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन पर निरंतर करीबी नजर रखी जा रही है। लगभग 41 करोड़ गरीबों को पीएमजीकेपी के तहत 52,608 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पीएमजीकेपी के तहत लोगों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने जो भी किया वह पिछले कुछ वर्षों के दौरान की गई अभिनव पहलों की बदौलत ही संभव हो पाया।
इसके अलावा, राज्यों द्वारा 84 लाख मीट्रिक टन अनाज उठाया गया है और साथ ही 3.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक दालें विभिन्न राज्यों में भेजी गई हैं। और ढुलाई संबंधी चुनौतियों के बावजूद बड़ी मात्रा में दालें और अनाज देने के लिए श्रीमती सीतारमण ने एफसीआई, नैफेड और राज्यों के ठोस प्रयासों की सराहना की है।
सरकारी सुधारों और समर्थन की दिशा में उठाए गए उपायों के 5वें और आखिरी हिस्से की घोषणा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने रोजगार प्रदान करने, कारोबारों को सहायता देने, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में आसानी) और राज्य सरकारों के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के लिए सात उपायों के बारे में ब्यौरा दिया।
मनरेगा के आवंटन में 40,000 करोड़ रुपये की वृद्धि-
सरकार अब मनरेगा के तहत अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का आवंटन करेगी। मानसून के मौसम में वापस लौट रहे प्रवासियों समेत ज्यादा काम की जरूरत को संबोधित करते हुए इससे कुल 300 करोड़ मानव दिवस का रोजगार पैदा करने में सहायता मिलेगी। बड़ी संख्या में टिकाऊ और जल संरक्षण संपदाओं सहित आजीविका संपदाएं निर्मित करने से उच्च उत्पादन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
स्वास्थ्य सुधार और पहलें-
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी करके और जमीनी स्वास्थ्य संस्थानों में निवेश करके स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय को बढ़ाया जाएगा। सभी जिलों में संक्रामक रोगों के अस्पताल ब्लॉक स्थापित किए जाएंगे और महामारियों के प्रबंधन के लिए सभी जिलों और ब्लॉक स्तर के लैब और जन स्वास्थ्य इकाई में एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं द्वारा लैब नेटवर्क और निगरानी को मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा, आईएमसीआर द्वारा स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय संस्थागत प्लेटफॉर्म, अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा। और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य खाका (एनडीएचबी) का कार्यान्वयन।
कोविड के बाद समानता के साथ प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा-
‘पीएम ई-विद्या’, डिजिटल, ऑनलाइन शिक्षा तक बहु-माध्यम पहुंच के लिए एक कार्यक्रम है जिसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। ‘मनोदर्पण’, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के सिलसिले में छात्रों, शिक्षकों और परिवारों का मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन करने के लिए एक पहल है जो तुरंत शुरू की जाएगी। स्कूल, शुरुआती बचपन और शिक्षकों के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा भी शुरू किया जाएगा। साल 2025 तक प्रत्येक बच्चा कक्षा 5 में सीखने का स्तर और परिणाम प्राप्त सके यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी साक्षरता और गणना मिशन को दिसंबर 2020 तक शुरू किया जाएगा।
आईबीसी से संबंधित उपायों के माध्यम से कारोबार में सुगमता और बेहतर होगी-
दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रु किया गया (पहले यह सीमा 1 लाख रु थी, इससे एमएसएमई को लाभ मिलेगा)। संहिता की धरा 240 ए के तहत एमएसएमई के लिए विशेष दिवाला संकल्प ढांचा जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा। महामारी की स्थिति के आधार पर, एक वर्ष तक नई दिवाला कारवाई की शुरुआत नहीं की जायेगी। दिवाला कारवाई को शुरू करने के उद्देश्य से संहिता के तहत कोविड 19 से संबंधित ऋण को “डिफ़ॉल्ट” की परिभाषा से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाना।
कंपनी अधिनियम के तहत की गयी चूक को अपराध की श्रेणी से बाहर करना-
कंपनी कानून की मामूली तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर किया जाएगा। (सीएसआर रिपोर्टिंग में गलतियाँ, बोर्ड रिपोर्ट में कमियां, एजीएम आयोजित करने में विलम्ब आदि ) संशोधन से आपराधिक अदालतों और एनसेएलटी में मामलों के संख्या में कमी आएगी। 7 समझौता योग्य (कंपाउंडेबल) अपराधों को पूरी तरह से हटा दिया गया है और 5 अपराधों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निपटाया जायेगा।
कंपनियों के लिए कारोबार करने में सुगमता-
मुख्य सुधारों में शामिल हैं, स्वीकृत विदेशी बाजारों में भारतीय सार्वजनिक कंपनियों द्वारा प्रतिभूतियों का प्रत्यक्ष सूचीबद्ध होना। निजी कंपनियां जो स्टॉक एक्सचेंजों पर एनसीडी को सूचीबद्ध करती हैं, उन्हें सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में नहीं माना जाएगा। कंपनी अधिनियम, 1956 के भाग 9 ए (निर्माता कंपनियों) के प्रावधानों को कंपनी अधिनियम, 2013 में शामिल करना। एनसीएलएटी के लिए अतिरिक्त, विशिष्ट बेंच गठित करने की शक्ति, छोटी कंपनियों, एक-व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनियों, निर्माता कंपनियों और स्टार्ट अप के द्वारा की गयी गलतियों के लिए आर्थिक दंड में कमी।
नए, आत्मनिर्भर भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति
सरकार एक नई नीति की घोषणा करेगी जिसके द्वारा, सार्वजनिक हित में पीएसई की अपेक्षा रखने वाले रणनीतिक क्षेत्रों की सूची अधिसूचित की जाएगी। सामरिक क्षेत्रों में, कम से कम एक उद्यम सार्वजनिक क्षेत्र में रहेगा लेकिन निजी क्षेत्र को भी इजाजत दी जाएगी। अन्य क्षेत्रों में, पीएसई का निजीकरण किया जाएगा जो समय का निर्धारण व्यवहार्यता पर आधारित होगा। अनावश्यक प्रशासनिक खर्च को कम करने के लिए, सामरिक क्षेत्रों में उद्यमों की संख्या आमतौर पर केवल एक से चार होगी; अन्य का निजीकरण या विलय कर दिया जाएगा अथवा होल्डिंग कम्पनियों के अंतर्गत लाया जाएगा।
राज्य सरकारों को सहायता-
केन्द्र ने केवल वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों की उधार की सीमा 3% से बढ़ाकर 5% करने का फैसला किया है। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिल सकेंगे। इस उधार का हिस्सा कुछ विशिष्ट सुधारों से जोड़ा जाएगा (वित्त आयोग की सिफारिशों सहित)। सुधारों को चार क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा: ‘एक देश एक राशन कार्ड’ का सार्वभौमिकरण, कारोबार में सुगमता, बिजली वितरण और शहरी स्थानीय निकाय।