मध्य प्रदेश के मिशन अस्पताल दमोह में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनजर प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों और क्लिनिक में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों की प्रमाणित योग्यता एवं पंजीकरण की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार सभी निजी चिकित्सालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीजों की देखभाल और उपचार में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न सभी चिकित्सा अधिकारियों के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त वैध चिकित्सा डिग्री, मप्र आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकरण, आवश्यक प्रमाणपत्र और यदि लागू हो तो अतिरिक्त विशेषज्ञ योग्यता का पंजीकरण हो।
यह प्रावधान राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019, क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट अधिनियम 2010 एवं मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एवं क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अनिवार्य है। अस्पतालों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां केवल उसी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक कार्यरत हों, जिसके लिए वे प्रशिक्षित एवं पंजीकृत हैं।
सभी अस्पतालों को 21 अप्रैल 2025 तक अपने चिकित्सा अधिकारियों की योग्यता एवं पंजीकरण की जांच कर इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लिखित रूप में देनी होगी। इस रिपोर्ट के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर यह उल्लेख करना भी आवश्यक होगा कि संस्थान में केवल अधिकृत एवं योग्य चिकित्सकों द्वारा ही चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
इस संबंध में जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि सभी अस्पताल संचालकों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अन्य प्रदेशों से आए चिकित्सकों की सेवाएं तभी ली जाएं जब वे मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल (MPMCI) में पंजीकृत हों। बिना वैध पंजीकरण के किसी भी बाहरी चिकित्सक को कार्य करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी चिकित्सा अधिकारी के पास आवश्यक प्रमाणपत्र नहीं पाए जाते हैं, तो उन्हें चिकित्सा सेवा प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। संबंधित अस्पताल संचालक इस प्रक्रिया के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे। इस आदेश का अनुपालन न करने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।