बोते हैं हम नेह,
कभी तो सुन्दर पौधे आएंगे
अपने घर के गमलों में,
खुश होकर कुछ गायेंगे
अलग रंग, अलग रूप के,
खूश्बू सब फैलायेंगे
सभी जड़ों में एक ही जल-
जिस दिन सींचे जाएंगे
इस बगिया के सारे फूल,
मिल कर चमन सजायेंगे
अपनी-अपनी डाली पर,
सब मंद-मंद मुस्कायेंगे
हो सकता है, कल हम ना हों,
किन्तु बाग रह जायेंगे
अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव