हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा
करते है हम जिसका सम्मान
जिसकी है अपनी एक निराली शान
जिससे बनी है हमारी पहचान
यह है हमारी एक मात्र भाषा हिंदी
सोहे जिसके माथे पर बिंदी
गर्व से कहो हम है हिंदी
जिसके बिना सूनी है इस देश की मिट्टी
जोड़े रखा है जिसने हमें अपनी संस्कृति से
जिसके बिना अधूरी है हमारी ज़िन्दगी
मिली है जिसमे गुरुओं संतों की वाणी
जिससे है पूरी वेदों पुराणों की कहानी
सुबह शाम बोली जाती है यह मुँह जुबानी
जिसके लिए की गई है बहुत कुर्बानी
आओ मिलकर यह मुहीम चलाये
घर-घर तक देश के कोने कोने तक
हिंदी भाषा का परचम फैलाये
और गर्व से कहें हम है हिंदी भाषी
नहीं होते जिससे हम शर्मसार
जो है हमारा आत्म सम्मान
प्रीति चतुर्वेदी
लुधियाना, पंजाब