वक्त जो बदला लोग बदल गए,
सच के सब उपयोग बदल गए।
पद, पैसा, सत्ता, मद, लालच,
अब आदम के रोग बदल गए।
तीन हुआ या पाँच हुआ है,
दो और दो योग बदल गए।
राजनीति के पीछे और आगे,
अब संतो के जोग बदल गए
कितनी रपटें बनी औ बिगड़ी,
हल न मिला आयोग बदल गए।
इंसानों के खून के प्यासे,
क्या देवों के भोग बदल गए?
मुकेश चौरसिया
गणेश कॉलोनी, केवलारी,
सिवनी,मध्य प्रदेश