बेटी बनकर आई हूँ
माँ-बाप के जीवन में
बसेरा होगा मेरा कल,
किसी और घर के आँगन में।।
क्यों ये रीत ईश्वर ने बनाई होगी,
क्यों कहते हैं लोग,
आज नहीं तो कल
बेटियां पराई होगी।।
जन्म देकर पाल-पोसकर
जिसने हमको बड़ा किया
पढ़ा-लिखाकर वक्त आने पर,
उन्ही हाथों ने विदा किया।।
क्यों हमारे सब रिश्ते
इतने अज़ीब होते हैं
क्या हम बेटियों के
यही नसीब होते हैं।।
पूजा