मेरा ऑनलाइन होना
बहुतों के मन में प्रश्न खड़ा करता है
सुबह का उठना
और घर के सभी कार्यों को पूरा कर
स्नानादि एवं पूजा पाठ से निवृत्त हो
एक हाथ में मोबाइल
और दूसरे हाथ में काढे़ का प्याला
और ऑनलाइन हो जाना
फिर हम से ही लोगों का सवाल करना
जग गई क्या?
तुम घर का काम कब करती हो?
तुम्हारी गृहस्थी कैसे चलती है?
तुम भोजन कब बनाती हो?
और फिर प्रश्नों के सैलाब में
बहने लगता हैं मेरा व्यक्तित्व,
उनके प्रश्न भी होते हैं कई प्रकार के,
चाहते हैं पूछना कुछ
और प्रेषित करते हैं कुछ
क्योंकि उनके मन में चलता रहता है बहुत कुछ,
जरूर कोई तो बात होगी कोई तो चक्कर है ही
मेरे लिए ये समझना आसान नहीं होता
कि लोग इतनी दुविधा में क्यों जीते हैं?
मेरा ऑनलाइन होना
उन्हें ऑफ क्यों करता हैं भला,
जबकि वो ऑनलाइन होकर ही
अपना सारा समय
मेरे ऑनलाइन होने की चर्चा में निकालते हैं
प्रार्थना राय
देवरिया उत्तर प्रदेश