मुसीबतों का पहाड़ इक दिन कट ही जाएगा,
जज़्बे कायम रख, सफलता इक दिन ज़रूर पाएगा
यकीन कर कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा,
हवा की ओट लेकर भी चराग जलेगा
हालातों पे अपने यूँ मायूस न हुआ कर,
हौसला रखा कर, चट्टानें तोड़कर रास्ते बनाया कर
वाकिफ़ रहे जमाना भरो ऐसी हौसलों की उड़ान,
मंज़िल तुम्हें खुद-ब-खुद चूमेंगी बस हार कर भी हार न मान
मुसीबतें रोक नहीं पायीं कभी मंज़िलों को,
मुश्किल को मात देते जो जेब में रखते हौंसलों को
अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश