दास्तान हकीकत की
ज़माना सुनाएगा
फ़रेब के फरिश्तों के बीच
सच की कहानी छोड़ जाएंगे
रोशनी का जहां
बसा के जाएंगे
अंधेरा भी
आने से सिहर जाएगा
उम्र भर की आह को
दफ़न करके जाएंगे
किराए का मकान छोड़
घर को चले जाएंगे
बढ़ते हुए कदम मेरे
रोक ना पाओगे
नफ़रत भरी खलक छोड़
उस खल्क में शाला बसाएंगे
हर शय पर अपनी
छाप छोड़ जाएंगे
हर एक रसिका पर
‘प्रार्थना’ नाम छोड़ जाएंगे
मेरे जीते जी
वो मेरे घर ना आ सके
हमें पता है मेरे जाने के
बाद अश्क बहाने आएंगे
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश