श्याम गात रंग अति शोभित
ललित छवि हर्षित मन मेरा
है चरण को तेरे वंदन प्रिय
तुम गोविदं रूप में आ जाना
तुम प्रेम वर्ण लिखना पाती पर
मैं शब्द उभर बन आऊँगी
तुम राग मिलन के गाना प्रिय
मैं सुमधुर धुन बन जाऊँगी
मन की कलिका स्फुटित हुई
अलक की महक बिखर रही
तुम प्रेम मकरन्द में घुल जाना
मैं रिमझिम बूदँ बन इतराऊँगी
है संकल्पना मेरे जीवन की
तुम रंग रास में रम जाओ
मैं बावली बिछोह में विक्षत हुई
तुम हृदय रिझाने आ जाओ
श्वासों का सप्तक बहक रहा
पुरवाई झूम इठला रही
बाहों में बाहें डाले फागुन
चित्तवन के द्वारे झांँक रहा
अंतस की खाली कंदरा में
मन का भाव तितर रहा
मन दृग में उठी पीर पिया
स्मृति की चीर कोई भेद रहा
मैं गहन रूप में जड़ीभूत हुई
मूर्छित मेरी प्रत्याशा है
तुम बन संजीवनी आओ प्रिय
तनु को जीवित कर जाओ
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश