बस इतना जानता हूँ आप का हूँ
मैं जैसा भी हूँ अच्छा या बुरा हूँ
वफ़ा की राह पर क्या चल पड़ा हूँ
अजब हैरत है तनहा रह गया हूँ
कई नजरों में बेहद चुभ रहा हूँ
खता है सीधा सीधा बोलता हूँ
शिकायत इनसे उनसे कर रहे क्यों
कहो मुझसे अगर सच में बुरा हूँ
मेरे वालिद महज वालिद नही हैं
इन्हें मैं देवता सा पूजता हूँ
कोई नाराज़गी तुम से नहीं बस
मेरी आदत ही है कम बोलता हूँ
नितान्त उसकी मोहब्बत का असर है
सरापा इश्क में डूबा हुआ हूँ
समीर द्विवेदी ‘नितान्त’
कन्नौज, उत्तर प्रदेश