श्वेता ग़ज़ल
शिक्षा: एमए, बीएड, कत्थक में प्रभाकर
जन्मतिथि: 28 जून
हिंदी से जुड़ाव, प्रकाशन विभिन्न पत्रिकाओं में, जल्द ही कविता एवं ग़ज़ल संग्रह का प्रकाशन
साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित- बिहारी हिंदी साहित्य सम्मेलन, बोलो जिंदगी फाउंडेशन, सामयिक परिवेश, नवांकुर कलम सम्मान, अंतरास्ट्रीय महिला काव्य मंच पटना, डॉ राजेंद्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति, वैशाली महोत्सव सम्मान आदि।
पता: 305, देवेंद्र रेजीडेंसी, एनएमसीएच के नज़दीक,
कंकरबाग, पटना- 800020
ख़ुद अपने आप में कितनी बदल रही हूं मैं
ये किस ख़्याल के सांचे में ढल रही हूं मैं
रहे-वफ़ा में जो थामा है तुम ने हाथ मेरा
ख़ुद अपने वक़्त से आगे निकल रही हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम की वर्षा करे मुझे जलथल
कि यूं अपनी आग में दिन रात जल रही हूँ मैं
किसी की शौक़ निगाहों का ये करिश्मा है
लगे है बर्फ़ की मानिंद गल रही हूँ मैं
लगे है हूँ मैं बहोत पुरसुकून बाहर से
मैं क्या बताऊँ के अंदर से जल रही हूँ मैं
पुकारती है मुझे और नाम से दुनिया
मगर किसी की श्वेता ग़ज़ल रही हूँ मैं
श्वेता ग़ज़ल