मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में कोरोना योद्धाओं की शैक्षणिक योग्यता को सर्विस बुक में दर्ज नहीं किया जा रहा है। बार-बार आवेदन देने के बावजूद लालफीताशाही के चलते कभी दस्तावेज गुमने का बहाना तो कभी लिस्ट चले जाने की बात कहकर कर्मचारियों को बार बार कार्यालय के चक्कर लगाने मजबूर किया जा रहा है। वहीं सर्टिफिकेट लिये जाने के बावजूद कागजों को फाइलों में दबा दिया जाता है, जिसके चलते कर्मचारियों को शैक्षणिक योग्यता होने के बावजूद लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जागरूक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय कल्याण समिति ने बताया कि स्थापना बाबू लंबे समय से एक ही कार्य को कर रहे हैं, उसके बावजूद पद की गरिमा को बनाये रखने के बजाए उसे धूमिल करने में लगे हुए हैं। साथ ही कर्मचारियों को समयमान वेतनमान के लाभ से भी वंचित किया जा रहा है। इसके लिए बार-बार आवेदन मांगे जाते हैं, जबकि वरियता के आधार पर समयमान वेतनमान के लाभार्थियों की 10 वर्ष, 20 वर्ष व 30 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने के पश्चात् विभाग द्वारा समय पर लगा देना चाहिए, परन्तु कर्मचारियों से ही सीआर मांगी जाती है, जो पूर्णतः गलत है।
संघ के उदित भदौरिया, अर्वेन्द्र राजपूत, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पांडे, कुलदीप पटेल, गौरव शर्मा, नीलेश जायसवाल, श्वेता यादव, नीलम मिश्रा, रोहित राजकुमार, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, राकेश राव, सत्येन्द्र ठाकुर आदि ने जबलपुर जिले के कलेक्टर से मांग की है कि आवेदन उपरांत स्वास्थ्य विभाग में शैक्षणिक योग्यता को सर्विस बुक में दर्ज करने की समय सीमा तय की जाए, जिससे कर्मचारियों को शैक्षणिक योग्यता का लाभ समय पर मिल सके।