आंसू में भीगे खत: चित्रा पंवार

चित्रा पंवार

सब रद्दी बनकर
तुल गए होंगे
रख कर तराजू के पलड़े में
तुम अनमोल कहा करते थे जिनको
वो आंसू में भीगे खत
न जाने किस मोल बिके होंगे..!

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सुनो लड़कियों

कोई नहीं देगा तुम्हें
तुम्हारे हिस्से की जमीन
आसमान
हवा, धूप, पानी
सुनो लड़कियों!!
जंगली फूलों की तरह
हक़ से उगना
और जम जाना सीखो