Tuesday, November 26, 2024
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RDSS के तहत सुधारों के कारण 15.41 प्रतिशत तक कम हुआ बिजली क्षेत्र का एटीएंडसी घाटा

भारत सरकार ने पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क प्राप्त करने के आधार पर आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम को परिणाम-लिंक्ड वित्तीय सहायता प्रदान करके डिस्कॉम को उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद करने के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) शुरू की। 

आरडीएसएस का 5 वर्षों के लिए यानी वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक परिव्यय 3.04 लाख करोड़ रुपए का है। इस परिव्यय में 0.98 लाख करोड़ रुपए का अनुमानित सरकारी बजटीय समर्थन (GBS) शामिल है।

आरडीएसएस के अंतर्गत वित्त वर्ष 2024-25 तक एटीएंडसी हानियों को अखिल भारतीय स्तर पर 12-15% तक कम करना। वित्त वर्ष 2024-25 तक एसीएस-एआरआर अंतर को शून्य तक कम करना। वित्त रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार आदि मुख्य उद्देश्य हैं।

प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग 1,50,000 करोड़ रुपये अनुमानित परिव्यय के साथ आरडीएसएस के तहत परिकल्पित महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। इसमें 23000 करोड़ रुपए के जीबीएस के साथ योजना के दौरान 250 मिलियन प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लगाने का लक्ष्य शामिल है। उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के साथ, संबंधित एडवांस्ड मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (AMI) के साथ संचार सुविधा के साथ फीडर और डीटी स्तर पर सिस्टम मीटरिंग को टीओटीएक्स मोड के तहत लागू किया जाएगा (कुल व्यय में पूंजी और परिचालन व्यय दोनों शामिल हैं), जिससे डिस्कॉम को मापने और सभी स्तरों पर ऊर्जा प्रवाह के साथ-साथ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ऊर्जा अकाउंटिंग की अनुमति मिलेगी। अब तक 30 राज्यों की कार्ययोजना और डीपीआर को मंजूरी दी जा चुकी है। 1,30,474.10 करोड़ रुपये की कुल स्वीकृत लागत के साथ 19,79,21,237 प्रीपेड स्मार्ट मीटर, 52,18,603 डीटी मीटर और 1,88,491 फीडर मीटर स्वीकृत किए गए हैं।

हानि कम करने के कार्यों, विकास को पूरा करने के लिए सिस्टम को मजबूत करने के कार्यों और आरडीएसएस के तहत स्मार्ट वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिए भी पूंजी निवेश का बजट रखा गया है। हानि कम करने के कार्यों में प्रमुख रूप से एबी केबल, एचवीडीएस सिस्टम, फीडर बाइफरकेशन आदि के साथ नंगे कंडक्टर को बदलना शामिल है, जबकि सिस्टम को मजबूत करने के कार्यों में नए सबस्टेशन, फीडर का निर्माण, परिवर्तन क्षमता का उन्नयन, केबल आदि शामिल हैं।

आधुनिकीकरण कार्यों में वितरण सिस्टम को स्मार्ट बनाने के लिए एससीएडीए, डीएमएस, आईटी/ओटी, ईआरपी, जीआईएस सक्षम एप्लिकेशन, एडीएमएस आदि शामिल हैं। अभी तक हानि कम करने से जुड़े काम के लिए 1.21 लाख करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं और हानि कम करने के लिए आरडीएसएस के तहत योजना निर्देशों के हिसाब से जीबीएस के लिए 5,806.48 करोड़ रुपए की राशि रिलीज की गई है।

योजना के तहत उठाए गए सुधार उपायों के परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 22-23 में एटीएंडसी घाटा कम होकर 15.41% (प्रोविजनल) हो गया है। इसका सीधा प्रभाव एसीएस-एआरआर अंतर को कम करने पर होगा जिससे अंततः अंतिम उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति प्राप्त करने में लाभ होगा।

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