Thursday, October 24, 2024
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शिमला शहर में दो साल से नहीं गिर रही बर्फ, सैलानी मायूस

शिमला (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के विख्यात पर्यटन स्थलों शिमला और मनाली में मौसम की बेरूखी बरकरार है। बर्फ के लिए सैलानियों की पसंद माने जाने वाले इन पर्यटन स्थलों में इस बार सीजन की पहली बर्फबारी का इंतजार हो रहा है। अचंभित करने की बात यह है कि पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला शहर में करीब दो साल से बर्फबारी नहीं हुई है।

अंतिम बार फरवरी 2022 में शिमला शहर बर्फबारी से ढका था। लेकिन इसके बाद यहां बर्फबारी का नजारा देखने को नहीं मिला। वर्ष 2023 के विंटर सीजन में शिमला शहर बर्फबारी के लिए तरसता रहा। बीते साल जनवरी के महीने में यहां की सबसे ऊंची चोटी जाखू में मात्र छह सेंटीमीटर बर्फ गिरी थी, जबकि पूरा शहर बर्फ़बारी से अछूता रहा। इस बार भी विंटर सीजन में यही स्थिति बनी हुई है। इससे सैलानी काफी मायूस हो रहे हैं और पर्यटन कारोबार प्रभावित हुआ है।

दरअसल क्रिसमस और नए साल की पूर्वसंध्या बर्फबारी के लिए सैलानियों का पसंदीदा समय रहता है और भारी संख्या में सैलानी बर्फ देखने के लिए शिमला की वादियों का रूख करते हैं। लेकिन इस विंटर सीजन में इन दोनों अवसरों पर शिमला में बर्फबारी का नजारा देखने को नहीं मिला। मौसम विभाग ने शिमला और मनाली में आगामी सप्ताह संभावित बर्फबारी की पहले की भविष्यवाणी को खारिज कर दिया है। मौसम विभाग ने 17 जनवरी को राज्य के मध्यम उंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी का अनुमान लगाया था, लेकिन मंगलवार को विभाग की ओर से जारी ताजा पूर्वानुमान में राज्य के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में ही बर्फ गिरने की संभावना जताई गई है। इन क्षेत्रों में लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के अधिक उंचाई वाले इलाके शामिल हैं।

शिमला में नवंबर से मार्च तक चलता है विंटर सीजन

शिमला में नवंबर से मार्च तक विंटर सीजन चलता है। इस सीजन में अब तक शहर में एक सेंटीमीटर भी बर्फबारी नहीं हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक शिमला में 1989-90 में सबसे अधिक बर्फबारी हुई थी। उस दौरान लगभग 262.2 सेमी दर्ज की गई थी। वर्ष 2005-06 में भी शहर में कोई बर्फबारी नहीं हुई थी।

शिमला में पिछले कुछ अरसे से बदल रहा मौसम का पैटर्न

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल का कहना है कि पिछले कुछ अरसे से मौसम के पैटर्न में बदलाव दिख रहा है। सर्दियों के महीने बर्फबारी कम हो रही है। शिमला में पहले दिसंबर, जनवरी, फरवरी और यहां तक कि मार्च के महीनों में भी नियमित रूप से बर्फ गिरती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। पर्यावरणविदों की मानें तो जलवायु परिर्वन से ऐसा हा रहा है और इसके लिए शहरीकरण और वाहन यातायात में बढ़ौतरी व अन्य स्थानीय कारण जिम्मेदार हैं।

राज्य के पहाड़ी इलाकों में धूप, मैदानों में घना कोहरा

राज्य के अधिकतर जिलों में मंगलवार को मौसम साफ बना रहा। पहाड़ी इलाकों में धूप खिली तो मैदानी इलाकों हमीरपुर, बिलासपुर और उना में जहां दोपहर तक घने कोहरे ने लोगों को परेशान किया, वहीं शिमला शहर में दिन भर गुनगुनी धूप खिली रही। इससे जनवरी महीने में भी बर्फबारी की संभावनाएं धूमिल ही हैं। बारिश- बर्फबारी न होने से शिमला में शुष्क ठंड बनी हुई है। यहां सोमवार की रात न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 1.1 डिग्री अधिक है।

मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 24 घंटों के दौरान राज्य के पांच जिलों लाहौल-स्पीति, किन्नौर, उना, मंडी और बिलासपुर में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे दर्ज किया गया। खास बात यह है कि पहाड़ों के साथ मैदानी भागों में भी पारा माइनस में पहुंच गया है। लाहौल-स्पीति जिले का कुकुमसेरी राज्य का सबसे सर्द स्थल रहा, जहां न्यूनतम तापमान -11.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा समधो में -2 डिग्री, कल्पा में -1.8 डिग्री, उना में -1 डिग्री, बरठीं में -0.5 डिग्री, मंडी में -0.2 डिग्री, और सुंदरनगर में -0.1 डिग्री सेल्सियस रहा। अन्य शहरों के तापमान पर नजर डालें, तो भुंतर में 0.1 डिग्री, धर्मशाला में 5.2 डिग्री, नाहन में 6.1 डिग्री, पालमपुर में 2.6 डिग्री, सोलन में 0.6 डिग्री, मनाली में 0.2 डिग्री, कांगड़ा में 3.5 डिग्री, चंबा में 2.6 डिग्री, डल्हौजी में 4.5 डिग्री, जुब्बड़हट्टी में 5.2 डिग्री, कुफरी में 2 डिग्री, नारकंडा में 1.8 डिग्री, भरमौर में 4.1 डिग्री, रिकांगपिओ में 0.2 डिग्री, सियोबाग में 0.5 डिग्री, धौलाकूआं में 3.4 डिग्री, पांवटा साहिब में 6 डिग्री, सराहन में 2 डिग्री और देहरा गोपीपुर में 8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

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