अदावत मिटाएँ नए साल में सब
मुहब्बत बढ़ाएँ नए साल में सब
उगी नागफनियाँ चुभें ख़ार-कीकर
गुलों को खिलाएँ नए साल में सब
बनी कोढ़ सी रीत घातक बहुत है
इसे मिल जलाएँ नए साल में सब
भले है डगर पुरखतर हौसला रख
न अब डगमगाएँ नए साल में सब
नए वर्ष का दिन नया, शम्स नव है
चलो लें बलाएँ नए साल में सब
बढ़ीं दूरियाँ दरमियाँ बा वजह जो
भुलाएँ खताएँ नए साल में सब।
दिए वक़्त ने ज़ख्म जो हैं ज़िगर पर
कसक मिल मिटाएँ नए साल में सब
समा काल के गाल में जो गए हैं
दिलों में बसाएँ नए साल में सब
ज़मीं पर कहीं रह न जाये अँधेरा
शमा मिल जलाएँ नए साल में सब
जो गद्दार हैं हिन्द के, हिन्द में कुछ
उन्हें मिल भगाएँ नए साल में सब
हरिक राह जीवन की आसान होगी
हुनर ख़ुद में लाएँ नए साल में सब
ये दुनिया की महफ़िल सभी झूम जाएँ
वो नगमा सुनाएँ नए साल में सब
नहीं तीर तलवार ख़ंजर उठाएं
न खूँ अब बहाएँ नए साल में सब
नहीं रब्त टूटें नहीं कोई रूठे
वफ़ा मिल निभाएँ नए साल में सब
किसी के नहीं चश्म से नीर छलके
तबस्सुम सजाएँ नए साल में सब
-स्नेहलता नीर