Tuesday, November 5, 2024
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अफीम के लिए बदनाम खूंटी बन रहा तरबूज और खीरा उत्पादन का हब

खूंटी (हि.स.)। अफीम और डोडा जैसे मादक पदार्थों के लिए बदनाम खूंटी जिला अब तरबूज और खीरा की खेती में अलग पहचान बना रहा है। जिले के लगभग सभी प्रखंडों के ग्रामीण इलाकों में तरबूज और खीरा के साथ परवल की भी फसलें लहलहा रही हैं। कुछ साल तक अफीम की खेती कर पैसै कमाने वाले तोरपा प्रखंड के एक किसान बताते हैं कि अफीम की खेती में जितनी कमाई होती थी,, उतनी कमाई तरबूज और खीरा की खेती से ही हो जाती है।

उन्होंने कहा कि अफीम से समाज पर बहूत खराब असर पड़ता है और पुलिस का लफड़ा अलग रहता है। इसलिए उसने अफीम की खेती छोड़कर तरबूज की खेती पर हाथ आजमाया है। उन्होंने कहा कि तरबूज के साथ ही वह अपने खेत में परवल की भी खेती कर रहा है। तोरपा प्रखंड के सुंदारी गांव में तरबूज की खेती करने वाले हीरालाल साहू बताते हैं कि इस वर्ष खूंटी जिले के तोरपा, खूंटी, कर्रा, रनिया, मुरहू और अड़की प्रखंड में लगभग साढ़े चार हजार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में तरबूज की खेती की गई है।

हीरालाल बताते हैं कि पहले तरबूज की खेती सिर्फ बिहार में ही होती थी। गांव-देहात के लोग जब रांची या अन्य किसी बड़े शहर में जाते थे, तो तरबूज खरीद कर लाते थे, लेकिन अब खूंटी जिला तरबूज उत्पदान का हब बनता जा रहा है। कर्रा प्रखंड के युवा किसान गणेश महतो बताते हैं कि एक किसान तरबूज की खेती से तीन महीने में औसतन दो लाख रुपये की कमाई कर लेता है। उन्होंने कहा कि इस बार तरबूज क बंपर उत्पादन हुआ है, लेकिन किसानों कों सही बाजार नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस साल मौसम ने भी तरबूज उत्पादक किसानों का अच्छा साथ दिया है।

प्रतिशील किसान सम्मन से सम्मनित कर्रा प्रखंड के बिकुवादाग गांव के किसान दिलीप बताते हैं कि खूंटी जिले के तरबूज बड़े-बड़े वाहनों से राची, खूंटी, कोलकाता, राउरकेला, संबलपुर से लेकर नेपाल तक भेजे जाते हैं। व्यापारी किसानों के खेत में ही आकर तरबूज की खरीदारी कर रहे हैं। इस बार तरबूज की मांग काफी अच्छी है और कीमत भी अच्छी मिल रही है। किसानों को खेत से ही गोल तरबूज की कीमत सात रुपये प्रति किलो और लंबा किरण प्रजाति के तरबूज की कीमत नौ से दस रुपये प्रति किलो मिल रही है। हाल के दिनों में इस क्षेत्र में पीला तरबूज की भी खेती हो रही है और इसकी बाजार में मांग भी काफी अच्छी है।

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