खोल रखे हैं दिल के पन्ने
जिन पर प्रेम पयाम लिखा
देख रहा हूँ मनहर सपने
जब से हाल तमाम लिखा
भाव उड़ान भरे तेजी से
मृदु अहसास दिया तुमने
पंख लगाकर अभिलाषा के
मधु आभास दिया तुमने
जीवन बगिया जब बौरायी
दृश्य सभी अभिराम लिखा
वक़्त दिया है याद अनूठी
कैसे सब अभिव्यक्त करूँ
है बुनियाद बहुत ही गहरी
कैसे उसको रिक्त करूँ
प्रीत भरी फ़रियाद सुनाकर
जीवन का आयाम लिखा
यार किया उपकार हृदय पर
हार दिया हमको सुंदर
द्वार सजाया नेह निलय का
प्यार दिया आगे बढ़कर
दीप जलाकर मन मंदिर में
मीत तुम्हारा नाम लिखा
-डॉ उमेश कुमार राठी