साँसें- विवेक मिश्र

साँसों पर मत जोर चलाना, साँसें हैं
क़ुदरत का अनमोल खज़ाना साँसें हैं

जान हमारी जाएगी बस हिचकी से
उसकी यादों का जुर्माना साँसें हैं

दिल की तख़्ती पर दुनिया के रंगों से
धड़कन की तस्वीर बनाना साँसें हैं

एक समंदर छोड़ गया वो आँखों मे
डूब चुका मैं यार, बचाना साँसें हैं

गुल की रौनक है तितली की खामोशी
रंगों का ऐ यार फसाना साँसें हैं

-विवेक मिश्र