काली जुल्फें घंटा सी छाई हैं
कोई खुशबू सलाम लाई है
तुमने पलकों को जब भी बंद किया,
सारी दुनिया हुई पराई है
फूल बालों में जब से बांधा तुमने,
चांदनी घर में उतर आईं है
कितनी मासूमियत है चेहरे पर,
इसमें ही तो छिपी खुदाई है
जबसे फूलों को चुनते हुए देखा है तुम्हें,
मेरे घर में बहार आई है
थाम कर हाथ मेरा मत जाना,
तुमने दुनिया मेरी सजाई है
-राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश