कोरोना का भय नहीं, होगा उसको आज।
स्वयं रहेगा स्वच्छ जो, रक्खे स्वच्छ समाज।।
कोरोना चाहे यही, भीड़ करें मत आप।
अपने ही घर में रहें, और करें प्रभु जाप।।
भागमभागी में लगा, देखो अल्प विराम।
रुका हुआ संसार है, ‘भवि’ बिन चक्काजाम।।
कोरोना की हार हो, इसी हेतु ये जंग।
चौदह दिन घर में रहें, सब अपनों के संग।।
गर्मी से ये भागता, कहते हैं ‘भवि’ लोग।
कोरोना इक वायरस,जो देता है रोग।।
सुनी सुनाई बात पर, क्यों देना है ध्यान।
जब शासन ख़ुद दे रहा, कोरोना का ज्ञान।।
प्रेमी कुछ दिन टाल दें,अभी आउटिंग-डेट।
कोरोना को कर विदा, बदलो अपना फेट।।
घर से ही अब हो रहे, बाहर के भी काम।
मंदिर में भगवान भी,लिए हुए विश्राम।।
मंदिर मस्जिद चर्च भी, हुए आइसोलेट।
बंद हुए हैं देखिये, स्कूलों के गेट।।
कोरोना के ख़ौफ़ से, जागा भारत आज।
सूझबूझ से ही फ़क़त, रुक सकती ये गाज।।
कल मिल लेंगे हम मगर, आज यही उपचार।
कोरोना के दौर में, रहो अकेले यार।।
-शुचि ‘भवि’
भिलाई