Tuesday, November 26, 2024
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मध्यप्रदेश सरकार ने परिसंपत्तियों के विक्रय से अर्जित की 1134 करोड़ रुपये की राजस्व आय

शासकीय अनुपयोगी परिसम्पत्तियों के समुचित प्रबंधन/मौद्रीकरण के लिये राज्य सरकार द्वारा “लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग” संचालित किया जा रहा है। विभाग द्वारा 30 अप्रैल 2024 तक कुल 101 शासकीय परिसम्पत्तियों के विक्रय (निर्वर्तन) से 1134 करोड़ 35 लाख रूपये से अधिक की राजस्व आय अर्जित की गई है।

गत तीन वर्षों में कुल 67 शासकीय परिसम्पत्तियों का हरित क्षेत्र/उद्यान निर्माण औद्योगिक क्षेत्रों का प्रबंधन, आवागमन मार्गों पर जरूरी सुविधाओं (वे साइड एमिनिटीज) का विकास एवं विस्तार तथा बस स्टैण्ड निर्माण के लिये आवश्यकतानुसर समुचित प्रबंधन भी लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा किया गया। विभाग ने अपने निरंतर प्रयासों से उज्जैन जिले की गाईड लाइन के अनुसार 470 करोड़ रूपये मूल्य की नरेश जिनिंग मिल एवं गणेश जिनिंग मिल की भूमि परिसम्पत्ति स्वामित्व संबंधी लंबित न्यायालयीन प्रकरणों में बेदखली आदेश कराया। पारित आदेश के अनुसार इस भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराकर पुन: इसका कब्जा भी प्राप्त कर लिया गया है।

जिला प्रोत्साहन योजना में 20 जिलों को 126 करोड़ रूपये से अधिक राशि वितरित

‘लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन जिला प्रोत्साहन योजना’ में जिलों की आधारभूत संरचनाओं को और अधिक बेहतर और सुदृढ़ करने के लिये इन्हें उनकी नई आवश्यकताओं एवं प्रस्ताव के अनुसार धनराशि भी आवंटित की जाती है। वित्त वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में 20 जिलों को उनसे प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार 126 करोड़ 80 लाख 43 हजार 372 रूपये की राशि वितरित की जा चुकी हैं। योजना के क्रियान्वयन (कार्य पूर्णता) के लिये विभाग द्वारा धार जिले को 3 करोड़ 8 लाख 70 हजार रूपये, गुना को 1 करोड 43 लाख 11 हजार 250 रूपये, खरगोन को 5 करोड़ 5 लाख 27 हजार 778 रूपये, रायसेन को 12 लाख 84 हजार 874 रूपये, आगर-मालवा को 46 लाख 34 हजार 750 रूपये, बालाघाट को 2 करोड़ 9 लाख 5 हजार रूपये, भोपाल को 22 करोड़ 13 लाख 31 हजार 44 रूपये, छिंदवाड़ा को 3 करोड़ 17 लाख 50 हजार रूपये, दमोह को 7 करोड़ 38 लाख 24 हजार रूपये, ग्वालियर को 5 करोड़ 25 लाख 68 हजार 664 रूपये मंजूर किये गये है।

इस योजना में इंदौर जिले को सर्वाधिक 29 करोड़ 81 लाख 11 हजार 471 रूपये, जबलपुर को 8 करोड़ 99 लाख 90 हजार 68 रूपये, कटनी को 5 करोड़ 32 लाख 20 हजार रूपये, नर्मदापुरम को 30 लाख 9 हजार 375 रूपये, नरसिंहपुर को 22 लाख 46 हजार 625 रूपये, सागर को 14 करोड़ 3 लाख 23 हजार 347 रूपये, सतना को एक करोड़ 6 लाख 25 हजार रूपये, शहडोल को 2 करोड़ 30 लाख 78 हजार, सिंगरौली को 2 करोड़ 2 लाख 57 हजार 500 रूपये तथा उज्जैन जिले को 12 करोड़ 50 लाख 72 हजार रूपये की मंजूरी दी गई है।

जारी वित्त वर्ष 2024-25 में इस योजना में अन्य जिलों से भी उनकी आवश्यकता के अनुसार विकास प्रस्ताव प्राप्त करने के लिये भी विभाग द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। इस नवीन योजना में वित्त वर्षों में मंजूर किये गये तथा प्रशासकीय मंजूरी वाले निर्माण कार्यों में काम प्रारंभ हो गया है। जिलों से मंजूर निर्माण कार्यों के अद्यतन प्रगति प्रतिवेदन (अपडेट रिपोर्ट) भी भेजी जा रही हैं।

पोर्टल का उपयोग

राज्य शासन की परिसम्पत्तियों की इन्द्राज (पंजी) तैयार करने के लिये वेब आधारित पोर्टल (GAM-Goverment Assets Mapping www.geoportal.mp.gov.in) का उपयोग किया जा रहा है। इस पोर्टल पर अब तक सरकार के आधिपत्य वाली 11 हजार 550 परिसम्पत्तियाँ शासन के विभिन्न विभागों एवं जिलों द्वारा पंजीकृत की जा चुकी हैं।

इंदौर और जबलपुर शहरी क्षेत्र में सिटी फारेस्ट बनाने की तैयारी

लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा इंदौर और जबलपुर शहरी क्षेत्र में ‘नगर वन’ (सिटी फारेस्ट) विकसित करने की तैयारी भी की जा रही है। इसके लिये योजनाबद्ध तरीके से तेजी से काम जारी है। विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 की कार्ययोजना में शहरी क्षेत्रों में नगर वन विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।

विभाग द्वारा नेशनल टेक्सटाईल कॉर्पोरेशन से इंदौर, उज्जैन, भोपाल एवं बुरहानपुर जिले की बंद मिलों की भूमि को पुनः राज्य शासन के पक्ष में बंदोबस्त (वैष्ठित) कर लिया गया है। इसके विरुद्ध नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन ने इंदौर, उज्जैन एवं भोपाल की भूमि के संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। संबंधित जिलों के कलेक्टर्स से समन्वय स्थापित कर विभाग द्वारा भूमि प्रकरणों के जल्द से जल्द निराकरण की कार्रवाई की जा रही है।

इंदौर जिले में स्थित यूनाइटेड मालवा मिल का एक प्रमुख भाग प्रबंधन की मंशा से नगर वन (सिटी फारेस्ट) के रूप में विकसित करने के लिये बेहद उपयुक्त पाया गया है। इस विकास प्रस्ताव पर विभागीय योजना बनाकर कार्यवाही की जा रही है एवं कल्याण मिल का उचित रूप से प्रबंधन किया जा रहा है। उज्जैन की विनोद मिल के शेष पार्सलों पर व्यवसायिक गतिविधियों के प्रोत्साहन के‍लिये विभागीय योजना तैयार की जा रही है एवं उज्जैन की हीरा मिल का समुचित प्रबंधन भी विभागीय तौर पर ही किया जा रहा है।

विभाग द्वारा जबलपुर शहरी क्षेत्र में बीएसएनएल द्वारा अधिग्रहित भूमि को पुनः राज्य शासन के पक्ष में बंदोबस्त (वैष्ठित) कर लिया गया है। अब यहाँ ‘सिटी फारेस्ट’ के लिये जरूरी विकास के मद्देनजर समुचित प्रबंधन एवं व्यवस्थाएँ की जा रही हैं।

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