Tuesday, November 26, 2024

हिन्दी सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं बल्कि सामाजिक एवं सांस्कृतिक सेतु भी है: किरन जादौन ‘प्राची’

किरन जादौन ‘प्राची’
करौली, राजस्थान, भारत

भाषा किसी भी देश की धार्मिक, सामाजिक, दार्शनिक परिस्थिति जानने का सशक्त माध्यम होती है। राष्ट्र भाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हमारे भारत देश की पहचान है और हमारी मातृ भाषा है। यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों को दिखाती है।

हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है यह हमारे देश के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर तथा विविधता में एकता को दर्शाती है। अनुच्छेद 343 में 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया। इसके बाद हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के कहने पर 1953 से सम्पूर्ण भारत में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

अनुच्छेद 351 के अनुसार हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार, विकास करना संघ का कर्तव्य है। हिन्दी भाषा को संस्कृत का वंशज माना जाता है। हिन्दी भाषा की उत्पति अपभ्रंश और अपभ्रंश की उत्पत्ति प्राकृत तथा प्राकृत की संस्कृत भाषा से हुई।

लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिन्दी नाम खुद दूसरी भाषा से लिया गया है। यह नाम फारसी शब्द हिन्दी से लिया गया है। जिसका अर्थ सिंधु नदी की भूमि से जुड़ा हुआ है। 11 शताब्दी के आस पास सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को हिन्दी नाम दिया गया।

हिन्दी सिर्फ एक भाषा या संवाद का माध्यम नहीं बल्कि हमारे बीच सामाजिक एवं सांस्कृतिक सेतु भी है। आज हमें यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि आज दुनियां भर में 170 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है तथा भारत से बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है। यह विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है तथा भारत के ग्यारह राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों की प्रमुख राजभाषा है।

हिन्दी भाषा में अन्य भाषाओं के शब्दो को अपने में समाहित करने की शक्ति है। हिन्दी में लिखा और पढ़ा जाने बाला हर शब्द स्पष्ट होता है, क्योंकि इसमें साइलेंट अक्षर नहीं होते। इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। हिन्दी को दुनिया भर पसंद करने वालो की संख्या काफी है। इसमें कोई संदेह नहीं की हिन्दी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है।

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