Sunday, March 23, 2025
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Holi 2025: किस दिन होगा होलिका दहन और कब खेलेंगे रंग, जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव, ज्योतिष केसरी

रंगों का त्योहार होली, प्राचीन काल से ही हमारे देश में हर्षोल्लास से मनाई जाती रही है। होली मनाने के पीछे की हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की पौराणिक कथा तो सभी जानते हैं, लेकिन एक मान्यता और भी है।

कहा जाता है कि एक बार भगवान बाल कृष्ण नें माता यशोदा से पूछा कि राधा इतनी गोरी है,मैं भी  खूब गोरा होना चाहता हूं, क्या उपाय करूँ? तो माता यशोदा नें हंसते हुए कहा कि तुम दोनों अगर एक दूसरे पे टेसू के रंगों को लगाओ तो एक दूसरे के रंग के हो जाओगे। ये सुनते ही कृष्ण जी और राधा जी एक दूसरे को रंग लगाते -लगाते खेलने लगे। तब से ही सम्पूर्ण ब्रज मंडल फिर पूरे उत्तर भारत में टेसू के रंग से होली खेली जाने लगी। धीरे-धीरे पूरे विश्व में इसे मनाया जाने लगा।

होली प्रेम, उत्साह, हर्ष और उमंगों का त्योहार है। इस दिन सभी वैर भाव और नकारात्मकता दूर कर के प्रेम और भाईचारा बढाने का प्रयास किया जाता है।

प्रत्येक वर्ष फागुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, फिर दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है, जिसे धुलेंडी भी कहते हैं।

इस वर्ष 2025 में होलिका दहन दिन गुरुवार 13 मार्च को और धुलेंडी शुक्रवार 14 मार्च 2025 को होगा। अर्थात शुक्रवार 14 मार्च को रंग खेला जाएगा।

होलिका दहन प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा तिथि पर किया जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 14 मार्च को प्रातः 10 बजकर 26 मिनट पर होगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

गुरुवार 13 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से शुरू होगा और 14 मार्च को रात्रि में 12 बजकर 30 मिनट पर मुहूर्त का समापन होगा।

होलिका दहन पर भद्रा का साया

भद्रा काल एक अशुभ काल होता है जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। भद्रा एक करण है जिसकी अवधि लगभग एक तिथि की आधी मात्रा में होती है। इस वर्ष गुरुवार दिनांक 13 मार्च ,होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू हो जाएगा और इसका समापन रात 11 बजकर 26 मिनट तक होगा, इसी के बाद होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन भद्रा का साया करीब 13 घंटे का रहेगा।

हालांकि भद्रा पूंछ काल मे भी होलिका दहन कर सकते हैं। इस बार भद्रा मुख आगे यानि रात 8 बजकर 30 से रात 10 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है, जबकि भद्रा पूँछ पीछे यानि शाम 7 बजकर 13 मिनट से रात्रि 8 बजकर 30 मिनट तक रहने वाली है।

मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन के लिए पूर्णिमा तिथि प्रदोषकाल व्यापिनी (सूर्यास्त से 3 पहर तक) होनी चाहिए। अतः विद्वानों के अनुसार भद्रा पूंछ काल में भी होलिका दहन किया जा सकता है। फिर भी रात्रि 11:26 से रात्रि 12:30 तक की 55 मिनटों की अवधि होलिका दहन के लिए निर्दोष और सर्वोत्तम रहेगी।

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