सनातन संस्कृति में भगवान विष्णु की आराधना के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार मोक्षदा एकादशी के दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मोक्षदा एकादशी की तिथि शनिवार 3 दिसंबर को प्रातः 5:39 बजे से रविवार 4 दिसंबर को प्रातः 5:34 बजे तक रहेगी। पूजा शुभ समय: शनिवार 3 दिसंबर को सुबह 9:28 बजे से दोपहर 1:27 बजे तक रहेगा। वहीं अभिजित मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा।
इसके अलावा इस दिन रवि योग भी बन रहा है। रवि योग शनिवार 3 दिसंबर को सुबह 7:04 बजे से आरंभ होकर रविवार 4 दिसंबर की सुबह 6:16 बजे तक रहेगा। रवि योग में काम की शुरुआत करने से सूर्य देव और विष्णु जी की कृपा मिलती है, जिससे सभी काम बिना रुकावट के पूरे होते हैं।
वहीं जो लोग शनिवार 3 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लेकर उपवास रखेंगे, वे 4 दिसंबर को पारण करेंगे। इस दिन पारण का समय दोपहर 1:14 बजे से दोपहर 3:19 बजे तक है। इस दिन पूरे समय सर्वार्थ सिद्धि योग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है, इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद साफ वस्त्र पहने और व्रत का संकल्प लें। एकादशी व्रत से एक दिन पहले दशमी की रात को तामसिक भोजन न करें। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में दूल और केसर मिलाकर अभिषेक करें। चंदन से भगवान श्रीहरि को तिलक लगाएं और वस्त्र, फूल, सुपारी, नारियल, फल, लौंग, अक्षत, मिठाई, धूप, अर्पित करें। दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाएं और तुलसी के साथ भोग लगाएं। एकादशी की कथा पढ़े और श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें।