Tuesday, June 24, 2025
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Shani Jayanti 2025: शनि जयंती में बन रहा है सुकर्मा योग, जानें तिथि और पूजा का मुहूर्त

न्याय के देवता शनिदेव के जन्म दिवस को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शनिदेव, सूर्यदेव और छाया के पुत्र हैं।

हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनायी जाती है। इस वर्ष शनि जयंती मंगलवार 27 मई 2025 को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि सोमवार 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 बजे प्रारम्भ होगी और मंगलवार 27 मई 2025 को सुबह 8:31 बजे अमावस्या तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:03 बजे से 4:44 बजे तक, अभिजित मुहूर्त सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक तथा गोधूलि मुहूर्त सुबह 7:11 बजे से 7:31 बजे तक रहेगा।

शनि जयंती पर भक्त शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये उपवास रखते हैं तथा शनि मन्दिरों में दर्शन कर शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह माना जाता है कि भगवान शनि निष्पक्ष न्याय में विश्वास करते हैं तथा अपने भक्तों को सौभाग्य व समृद्धि प्रदान करते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये किये जाने वाले हवन, होम तथा यज्ञ आदि हेतु शनि जयंती का दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शनि जयंती के दिन शनि तैलाभिषेकम तथा शनि शान्ति अनुष्ठान करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम हो जाता है।

इस साल शनि जयंती बहुत खास है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग बन रहा है। शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा करने से साढ़ेसाती और शनि की पीड़ा से छुटकारा मिलता है। मान्‍यता है कि इस खास योग में शनिदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मंगलकारी सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन रात 10:54 बजे होगा। सुकर्मा योग पूरे दिन रहेगा, इस योग में भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करने से हर एक मनोकामना पूरी होगी। शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:25 बजे से लेकर 05:32 बजे तक है। इस योग में पूजा-भक्ति करने से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी। वहीं शिववास योग सुबह 8:31 बजे तक है। शिववास योग में भगवान शिव, मां गौरी के साथ कैलाश पर रहेंगे। इन योग में भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करने से भक्तों को मनचाहा वरदान मिलेगा।

पौराणिक मान्यता है कि शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से शनिदेव शीघ्र खुश होते हैं। शनिदेव के बारे में ये भी मान्यता है कि शनिदेव को प्रसन्‍न करना है तो भगवान हनुमान की पूजा करना चाहिए। शनि जयंती पर हनुमानजी की पूजा करने से शनि से जुड़े सभी दोष दूर होते हैं और लाभ होता है।

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