इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण शनिवार 4 दिसंबर विक्रम संवत 2078 और शक संवत 1943 के मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पड रहा है। यह सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण है, यह भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया के अधिकतम भाग, दक्षिण अटलांटिक महासागर और दक्षिणी हिंद महासागर में दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण का प्रारंभ दिन में 10:59 बजे और मोक्ष दिन में 3:07 पर होगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहण का सूतक इस समय से 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है। स्पर्श और मोक्ष दोनों के समय पुण्य स्नान करना चाहिए। सूतक के उपरांत अर्थात ग्रहण प्रारंभ होने के 12 घंटे पहले से भोजन करना, मैथुन क्रिया, यात्रा, मंदिर में प्रवेश और मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित है। अगर कोई बीमार है या बच्चा है या वृद्ध तो वह अपना आहार ले सकता है। सभी प्रकार की भोजन सामग्री में इस अवधि के दौरान कुश और तुलसी दल रख देना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण को देखना वर्जित है और उनको अपने पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा लेना चाहिए। ग्रहण की अवधि में दान जप मंत्र सिद्ध करना आदि का विधान है।
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, अतः भारत में सूतक भी नहीं लगेगा और इसका किसी भी राशि पर कोई असर नहीं होगा। कुछ ज्योतिषियों ने सूर्य ग्रहण को मेष, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन के लिए अशुभ माना है, परंतु मेरे विचार से ऐसा नहीं होना चाहिए। वर्तमान विज्ञान के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्य ग्रहण लगता है। चंद्रमा के बीच में आने से सूर्य की किरणें पृथ्वी के जिन-जिन स्थान पर दिखाई नहीं देती हैं, वहां वहां पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है ।
वेदों में भी सूर्य ग्रहण का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद में महर्षि अत्रि ने ऋग्वेद के पांचवें मंडल के 40 में सुक्त द्वारा ग्रहण के बारे में बताया है। अथर्ववेद सामवेद में भी ग्रहण का उल्लेख पाया जाता है। इसके अलावा महाभारत में भी जयद्रथ वध के समय पर सूर्य ग्रहण लगने का अनुमान है। बृहत्संहिता में आचार्य वराह मिहिर ने लिखा है कि सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के बिंब में प्रविष्ट हो जाता है, अर्थात सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है। भारतीय ज्योतिषियों को सूर्य चंद्र और पृथ्वी के चाल के बारे में पूरा अनुमान था, जिसके कारण उन्होंने सूर्य और चंद्र ग्रहण का जो भी समय काल निकाला, वह आज भी सही हो रहा है।
पं अनिल कुमार पाण्डेय
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता
एस्ट्रो साइंटिस्ट और वास्तु शास्त्री
स्टेट बैंक कॉलोनी, मकरोनिया
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