केंद्र सरकार ने घोषित की भारत की विदेश व्यापार नीति 2023

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभेक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने विदेश व्यापार नीति 2023 लांच की और कहा कि यह एक गतिशील नीति है और उभरती आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए यह पूरी तरह से खुली (ओपेन एंडेड) बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस नीति पर लंबे समय से चर्चा की जाती रही है और इसका निर्माण विविध प्रकार के हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद किया गया है। उन्होंने कहा कि सेवाओं तथा वस्तुओं सहित भारत का समग्र निर्यात पहले ही 750 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है और इस वर्ष इसके 760 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद है।

केंद्रीय मंत्री गोयल ने 6 अगस्त, 2021 को निर्यातकों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परस्पर बातचीत का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने निर्यात को बढ़ाने और वैश्विक मूल्य श्रंखला में और अधिक गहराई से शामिल होने के लिए निर्यातकों को प्रोत्साहित किया था। केंद्रीय मंत्री गोयल ने प्रधानमंत्री के विजन और दिशानिर्देश की सराहना की जिनका विश्वास था कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार और विनिर्माण तथा सेवा सेक्टर आधार को देखते हुए, देश के विकास की क्षमता कई गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि यही विजन विदेश नीति के मूल में है।

केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि विश्व भर में व्याप्त इन चुनौतीपूर्ण समय में 760 बिलियन डॉलर से अधिक के समग्र निर्यात आंकड़ों को पार करने की उल्लेखनीय उपलब्धि प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किए गए उत्साह और प्रोत्साहन का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री के साथ परस्पर बातचीत के बाद 2021 की रूपरेखा में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप है। उन्होंने ने कहा कि निर्यात के लिए प्रत्येक अवसर का अनिवार्य रूप से लाभ उठाया जाना चाहिए तथा इसका कारगर तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अगले पांच महीनों में सेक्टर-वार तथा देश-वार दोनों ही प्रकार से विश्व के साथ एक व्यापक केंद्रित लोकसंपर्क होना चाहिए।

नीति का प्रमुख दृष्टिकोण इन चार स्तंभों- (i) प्रोत्साहनों से छूट की ओर बढ़ना, (ii) गठबंधनों – निर्यातकों, राज्यों, जिलों, भारतीय मिशनों के माध्यम से निर्यात संवर्धन, (iii) व्यवसाय करने की सुगमता, कारोबार लागत में कमी तथा ई-पहल और (iv) उभरते क्षेत्र-निर्यात हबों के रूप में ई-कॉमर्स विकासशील जिले तथा स्कोमेट नीति को विवेकपूर्ण बनाना, पर आधारित है।

विदेश व्यापार नीति ( 2023 ) एक नीतिगत दस्तावेज है जो निर्यात को सुगम बनाने वाली समय की कसौटी पर खरी उतरने वाली योजनाओं की निरंतरता पर आधारित है तथा एक ऐसा दस्तावेज है जो द्रुतगामी है और व्यापार की आवश्यकताओं के प्रति उत्साहपूर्वक अनुकूल है। यह ‘ भरोसे ‘ के सिद्धांतों तथा निर्यातकों के साथ ‘ साझीदारी ‘ पर आधारित है। एफटीपी 2015-20 में, आरंभिक रूप से जारी करने के बाद, उभरती स्थितियों के प्रति नाटकीय रूप से रिस्पांड करने वाली एक नई एफटीपी की घोषणा के बगैर भी परिवर्तन कर दिए गए थे। इसके बाद, जब कभी भी आवश्यकता होगी, एफटीपी में संशोधन कर दिए जाएंगे। समय समय पर प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाने तथा एफटीपी को अपडेट करने के लिए व्यापार एवं उद्योग से प्राप्त फीडबैक को शामिल करना भी जारी रहेगा।

विदेश व्यापार नीति 2023 का लक्ष्य निर्यातकों के लिए व्यवसाय करने की सुगमता को सरल बनाने के लिए प्रोसेस रि-इंजीनियरिंग तथा ऑटोमेशन पर ध्यान केंद्रित करना है। इस नीति का फोकस स्कोमेट के तहत ड्यूल यूज हाई एंड टेक्नोलॉजी आइटम्स जैसे उभरते क्षेत्रों, ई-कॉमर्स निर्यात को सुगम बनाने, निर्यात संवर्धन के लिए राज्यों तथा जिलों के साथ गठबंधन करने पर भी है। नई एफटीपी निर्यातकों के लिए पुराने लंबित प्राधिकरणों को बंद करने तथा तथा नए सिरे से आरंभ करने के लिए एकमुश्त एमनेस्टी स्कीम भी लांच कर रही है।

एफटीपी 2023 ‘‘टाऊंस ऑफ एक्सपोर्ट एक्सेलेंस स्कीम‘‘ के माध्यम से नए शहरों तथा ‘‘स्टेटस होल्डर स्कीम‘‘ के माध्यम से निर्यातकों को सम्मानित करने को भी प्रोत्साहित करती है। एफटीपी 2023 लोकप्रिय अग्रिम प्राधिकरण तथा ईपीसीजी स्कीमों को युक्तिसंगत बनाने तथा भारत से वस्तु व्यापार को सक्षम बनाने के द्वारा निर्यात को प्रोत्साहित करती है।

प्रोसेस रि-इंजीनियरिंग तथा ऑटोमेशन

नई एफटीपी में विभिन्न अनुमोदनों के लिए जोखिम प्रबंधन के साथ ऑटोमेटेड आईटी प्रणालियों के माध्यम से निर्यातकों पर अधिक विश्वास जताया जा रहा है। यह नीति एक प्रोत्साहन व्यवस्था से एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ते हुए जो टेक्नोलॉजी इंटरफेस तथा गठबंधन के सिद्धांतों पर आधारित है, निर्यात संवर्धन और विकास पर जोर देती है। एफटीपी 2015-20 के तहत अग्रिम प्राधिकरण, ईपीसीजी आदि जैसी कुछ जारी योजनाओं की प्रभावशीलता को ध्यान में रखते हुए, उन्हें पर्याप्त प्रोसेस रि-इंजीनियरिंग तथा निर्यातकों की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी सक्षमता के साथ जारी रखा जाएगा। एफटीपी 2023 पहले की ‘ व्यवसाय करने की सुगमता ‘ पहलों के आधार पर एक पेपरलेस, ऑनलाइन वातावरण में कार्यान्वयन तंत्रों को संहिताबद्ध करता है। शुल्क संरचनाओं में कमी तथा आईटी आधारित योजनाओं से एमएसएमई तथा अन्य लोगों के लिए निर्यात लाभ प्राप्त करना सरल हो जाएगा।

निर्यात उत्पादन के लिए शुल्क छूट योजनाओं का कार्यान्वयन अब एक नियम आधारित आईटी प्रणाली वातावरण में क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से किया जाएगा जिससे मैनुअल इंटरफेस की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, एडवांस एवं ईपीसीजी योजनाओं के तहत जारी करने, पुनर्सत्यापन तथा ईओ विस्तार सहित सभी प्रक्रियाएं चरणवद्ध तरीके से कवर की जाएंगी। जोखिम प्रबंधन संरचना के तहत पहचाने गए मामलो की जांच भौतिक रूप से यानी मैनुअली की जाएगी, जबकि अधिकांश आवेदकों के आरभ में ‘ऑटोमैटिक रूप से ‘ कवर किए जाने की उम्मीद है।

निर्यात उत्कृष्टता के शहर

चार नए शहरों- जिनमे नाम फरीदाबाद, मिर्जापुर, मुरादाबाद तथा वाराणसी हैं, को विद्यमान 39 शहरों के अतिरिक्त निर्यात उत्कृष्टता के शहर (टीईई) के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। टीईई की एमएआई स्कीम के तहत निर्यात संवर्धन फंडों तक प्राथमिकता के आधार पर पहुंच होगी और वे ईपीसीजी स्कीम के तहत निर्यात पूर्ति के लिए सामान्य सेवा प्रदाता (सीएसपी) का लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इन शहरों के जोड़े जाने से हस्तकरघा, हस्तशिल्प तथा दरियों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

निर्यातकों का सम्मान

निर्यात निष्पादन के आधार पर ‘स्टेटस‘ के साथ मान्यता प्राप्त निर्यातक फर्म अब एक सर्वश्रेष्ठ-प्रयत्न के आधार पर क्षमता निर्माण पहलों में साझीदार होंगे। ‘ईच वन, टीच वन‘ पहल के समान ही, 2-स्टार और उउसे ऊपर वाले स्टेटस धारकों को इच्छुक व्यक्तियों को एक मॉडल करीकुलम पर आधारित व्यापार संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसे भारत को 2030 से पहले 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की सेवा करने में सक्षम, कुशल श्रमबल समूह का निर्माण करने में मदद मिलेगी। 4 एवं 5 स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक निर्यातक कंपनियों को सक्षम बनाने के लिए स्टेटस रिकौग्निशन नियमों को फिर से ठीक किया गया है जिससे कि निर्यात बाजारों में बेहतर ब्रांडिंग अवसर प्राप्त हो सके।

जिलों से निर्यात को बढ़ावा देना

एफटीपी का लक्ष्य राज्य सरकरों के साथ साझीदारी करना और जिला स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात हब ( ईईएच ) पहलों के रूप में जिलों को आगे ले जाने के लिए तथा जमीनी स्तर के व्यापार इकोसिस्टम के विकास में तेजी लाना है। जिला स्तर पर निर्यात योग्य उत्पादों और सेवाओं की पहचान करने और मुद्वों का समाधान करने के प्रयास संस्थागत तंत्र के जरिये किए जाएंगे जिसमें राज्य निर्यात संवर्धन समिति तथा जिला निर्यात संवर्धन समिति क्रमशः राज्य और जिला स्तर पर होंगे। प्रत्येक जिले के लिए जिला विशिष्ट निर्यात कार्य योजनाएं तैयार की जाएंगी जिसमें पहचाने गए उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जिला विशिष्ट रणनीति की रूपरेखा बनाई जाएगी।

स्कोमेट नीति को युक्तिसंगत बनाना

भारत ‘‘निर्यात नियंत्रण‘‘ पर अधिक बल दे रहा है क्योंकि निर्यात नियंत्रण व्यवस्था वाले देशों के साथ इसका समेकन सुदृढ़ हो रहा है। हितधारकों के बीच क व्यापक लोकसंपर्क और स्कोमेट ( विशेष रसायन, जीव, सामग्रियां, उपकरण तथा प्रौद्योगिकियों ) की समझ है और भारत द्वारा की गई अंतरराष्ट्रीय संधियों तथा समझौतों को कार्यान्वित करने के लिए नीतिगत व्यवस्था को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जा रहा है। भारत में एक मजबूत निर्यात नियंत्रण प्रणाली भारतीय निर्यातकों को ड्यूल-यूज हाई-एंड वस्तुओं तथा प्रौद्योगिकीयों की सुविधा प्रदान करेगी तथा भारत से स्कोमट के तहत नियंत्रित मदों/ प्रौद्योगिकीयों के निर्यात को सुगम बनाएगी।

ई-कॉमर्स निर्यातों की सुविधा प्रदान करना

ई-कॉमर्स निर्यात एक आशाजनक वर्ग है जिसके लिए पारंपरिक ऑफलाइन व्यापार से विशिष्ट नीतिगत युक्तियों की आवश्यकता होती है। विभिन्न अनुमानों में कहा गया है कि 2030 तक 200 बिलियन डॉलर से 300 बिलियन डॉलर की सीमा में ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता होगी। एफटीपी 2023 ई-कॉमर्स हबों की स्थापना तथा पेमेंट रिकौंसिलिशन, बुककीपिंग, रिटर्न नीति तथा निर्यात पात्रता जैसे संबंधित तत्वों के लिए अभिप्राय तथा रूपरेखा दर्शाती है। आरंभिक बिन्दु के रूप में, कूरियर के माध्यम से एफटीपी 2023 में ई-कॉमर्स निर्यात पर खेप-वार अधिकतम सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ा कर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। निर्यातकों के फीडबैक के आधार पर, इस अधिकतम सीमा में और संशोधन किया जाएगा या अंततोगत्वा हटा दिया जाएगा। कूरियर का समेकन और आइसगेट के साथ डाक निर्यात निर्यातकों को एफटीपी के तहत लाभ का दावा करने में सक्षम बनाएगा। ई-कॉमर्स निर्यातों पर कार्य समिति की अनुशंसाओं तथा अंतर-मंत्रालयी विचार विमर्शों के आधार पर निर्यात/आयात इकोसिस्टम पर ध्यान देने वाली व्यापक ई-कॉमर्स नीति के बारे में शीघ्र ही विस्तार से बताया जाएगा। कारगरों, बुनकरों, परिधान विनिर्माताओं, रत्न एवं आभूषण डिजाइनरों के लिए व्यापक लोकसंपर्क तथा प्रशिक्षण कार्यकलापों को शीघ्र ही आरंभ किया जाएगा जिससे कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर उन्हें ऑनबोर्ड किया जा सके तथा उच्चतर निर्यात की सुविधा प्रदान की जा सके।

पूंजीगत वस्तु निर्यात संवर्धन (ईपीसीजी) स्कीम के तहत सुगमीकरण

ईपीसीजी स्कीम, जो निर्यात उत्पादन के लिए शून्य सीमा शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात में सक्षम बनाती है, को और विवेकपूर्ण बनाया जा रहा है। जोड़े जा रहे कुछ प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार हैं-

पूंजीगत वस्तु निर्यात संवर्धन (ईपीसीजी) स्कीम की सीएसपी (सामान्य सेवा प्रदाता) स्कीम के तहत लाभ का दावा करने में सक्षम एक अतिरिक्त स्कीम के रूप में प्रधानमंत्री मेगा समेकित वस्त्र क्षेत्र तथा परिधान पार्क (पीएम मित्रा) स्कीम को जोड़ा गया है। डेयरी सेक्टर को प्रौद्योगिकी को अपग्रेड करने में सहायता प्रदान करने के लिए औसत निर्यात दायित्व बनाये रखने से छूट उपलब्ध कराई जाएगी। सभी प्रकार के बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी), वर्टिकल फार्मिंग इक्विपमेंट, अपशिष्ट जल उपचार तथा रिसाइक्लिंग, वर्षा जल संचयन प्रणाली तथा वर्षा जल फिल्टर और हरित हाइड्रोजन को हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों में शामिल किया गया है – जो अब ईपीसीजी स्कीम के तहत निम्न निर्यात दायित्व आवश्यकता के लिए पात्र होंगे।

अग्रिम प्राधिकरण स्कीम के तहत सुविधा

डीटीए इकाइयों द्वारा उपयोग की जाने वाली अग्रिम प्राधिकरण स्कीम निर्यात मदों के विनिर्माण के लिए कच्चे मालों का शुल्क मुक्त आयात उपलब्ध कराती है और इसे ईओयू तथा एसईजेड स्कीम के समान स्तर पर रखा गया है। हालांकि, डीटीए इकाई के पास घरेलू तथा निर्यात उत्पादन दोनों के लिए काम करने का लचीलापन है। उद्योग तथा निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ परस्पर बातचीतों के आधार पर, वर्तमान एफटीपी में कुछ सुविधा प्रावधान जोड़े गए हैं जैसेकि :

  • निर्यात ऑर्डरों के त्वरित निष्पादन को सुगम बनाने के लिए स्व-घोषणा के आधार पर एचबीपी के पैरा 4.07 के तहत परिधान और वस्त्र क्षेत्र के निर्यात के लिए विशेष अग्रिम प्राधिकरण स्कीम को विस्तारित किया गया
  • मानदंड निर्धारित समय सीमा के भीतर तय किए जाएंगे
  • वर्तमान में प्राधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों के अतिरिक्त, 2 स्टार और उससे ऊपर के स्टेटस होल्डरों के लिए इनपुट-आउटपुट मानदंडों के निर्धारण के लिए स्व- पुष्टिकरण स्कीम के लाभ

मर्चेंटिंग व्यापार

भारत को एक मर्चेंटिंग व्यापार हब के रूप में विकसित करने के लिए, एफटीपी 2023 ने मर्चेंटिंग व्यापार के लिए प्रावधान प्रस्तुत किए हैं। निर्यात नीति के तहत सीमित एवं प्रतिबंधित मदों का मर्चेंटिंग व्यापार अब संभव हो सकेगा। मर्चेंटिंग व्यापार में भारतीय बंदरगाहों को छुए बिना एक देश से दूसरे देश में वस्तुओं का निर्यात शामिल होता है जिसमें एक भारतीय मध्यवर्ती की भागीदारी होती है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुपालन के अध्यधीन होगा और सीआईटीईएस तथा स्कोमेट सूची में वर्गीकृत वस्तुओं/मदों के लिए लागू नहीं होगा। समय के साथ, यह भारतीय उद्यमियों को गिफ्ट सिटी आदि जैसे कुछ स्थानों को प्रमुख मर्चेंटिंग हबों में तबदील होने में सक्षम बनाएगा जैसाकि दुबई, सिंगापुर और हौंगकांग जैसे स्थानों में देखा गया।

एमनेस्टी स्कीम

अंत में, सरकार मुकदमेबाजी को खत्म करने और निर्यातकों के सामने आने वाले मुद्वों को समाप्त करने में सहायता करने के लिए विश्वास आधारित संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। ‘‘विवाद से विश्वास‘‘ पहल के अनुरूप, जिसमें कर विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने की इच्छा जताई गई है, सरकार निर्यात दायित्वों पर डिफॉल्ट पर ध्यान देने के लिए एफटीपी 2023 के तहत एक विशेष एकमुश्त एमनेस्टी (माफी) स्कीम लागू कर रही है। इस स्कीम का प्रयोजन उन निर्यातकों को राहत प्रदान करना है जो ईपीसीजी और अग्रिम प्राधिकरणों के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन करने में अक्षम हैं और जो उच्च शुल्क तथा लंबित मामलों से जुड़ी ब्याज लागत के बोझ से दबे हुए हैं। उल्लिखित प्राधिकरणों के निर्यात दायित्वों (ईओ) को पूरा करने में डिफॉल्ट के सभी लंबित मामलों को सभी सीमाशुल्कों के भुगतान पर नियमित किया जा सकता है जिन्हें अपूर्ण निर्यात दायित्व के अनुपात में छूट दी गई थी। देय ब्याज की अधिकतम सीमा इस स्कीम के तहत इन छूट प्राप्त शुल्कों के 100 प्रतिशत पर निर्धारित की गई है। बहरहाल, अतिरिक्त सीमा शुल्क और विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क के हिस्से पर कोई ब्याज देय नहीं है और इससे निर्यातकों को राहत प्राप्त होने की उम्मीद है क्योंकि ब्याज बोझ में उल्लेखनीय कमी आ जाएगी। ऐसी उम्मीद की जाती है कि यह एमनेस्टी इन निर्यातकों को एक नई शुरुआत देगी और अनुपालन करने का एक अवसर प्रदान करेगी।