अब मेरे दिल को गुलज़ार सही रहने दो
जब तुमको प्यार है तो प्यार सही रहने दो
आओ क़रीब ज़रा बाहों में, क्या रख्खा
दुनिया में, छोड़ो, दीदार सही रहने दो
दरिया में होता है यार जवां इश्क़ अगर
तो अपनी किश्ती मझधार सही रहने दो
ख़ामोश हुई रातें चाँद अभी है पुरनम
फ़ुर्सत में हम तुम मनुहार सही रहने दो
फैलेगी जिस्मों में आज छुवन की खुशबू
महकेगी रूहों तक यार सही रहने दो
बरसेगी होठों पे बरसों की मदहोशी
मत करना हरगिज़ इनकार सही रहने दो
दूर बहुत तन्हा गमख़्वार रहा है रकमिश
आ मस्ती लूटें इक बार सही रहने दो
-रकमिश सुल्तानपुरी